विभागीय लापरवाही से बीमार पड़े हैण्डपम्प व पानी की टंकियां

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जिलाधिकारी साहिबा के आदेश हो रहे बेअसर

रायबरेली। अभी करीब एक माह पहले नई जिलाधिकारी नेहा शर्मा का जनपद में आगमन हुआ है। जिले का कार्यभार संभालते ही अधिकारियों संग मीटिंग कर जिले का हाल जाना और फिर शुरू हुआ। विभागों पर शिकंजा कसना इस शिकंजे के चलते जिले की बडी समस्या पानी की थी, जिसको लेकर विभाग को एक हप्ते के अन्दर से बीमार पड़े। हैंडपंपों को सही करवाने का आदेश दिया था, पर इस आदेश को लगभग एक माह बीत रहा है। सड़े गले सिस्टम चलाने वाले जल निगंम के कर्मचारियों पर कोई असर नहीं पड़ा और मामला ज्यो का त्यों बना रहा। जैसा कि मार्च से लोगों की प्यास में बढ़ोतरी होने लगती है। गर्मी आते ही हर जगह लोग पानी की तलाश करने लगते हैं। इस सुंदर रायबरेली स्वच्छ रायबरेली का नारा दीवारों की शोभा को जरूर बढ़ा रहा है, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है। बीमार पड़े सैकड़ों ऐसे हैण्डपम्प है जो सरकारी विभागों में ही है जो सिस्टम की पोल खोलती है चाहे वो कलेक्ट्रेट सभागार हो तहसील परिसर हो, या अन्य विभाग हो जहाँ लोगों का आना जाना हमेशा बना रहता है। जनपद के कई गांवों में सौर ऊर्जा चलित पानी की टंकियां लगाई गई है वह भी ध्वस्त पड़ी हुई है। उन पर भी अभी तक विभागों द्वारा कोई देखने तक नहीं पहुंचा है कि किस हाल में है। जब गांव का यह हाल है तो जिले में तहसील ब्लॉकों का क्या हाल होगा। सिविल लाइंस पुल के नीचे लगे इंडिया मार्का से स्वच्छ जल तो आ रहा है लेकिन वहाँ की गंदगी ने कलेक्ट्रेट आफिस की दीवारों पर लिखें स्वच्छ सुंदर रायबरेली की पोल खोल दी। नल के फर्श पर गंदा पानी भरा रहता है, और बगल में कूड़ादान भी है जिसका कूड़ा हवा में इधर उधर उड़ता रहता है। नल में पानी भरने आए लोगों से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि गंदगी तो है लेकिन क्या करें प्यास बुझाने के लिए मजबूरी है। आसपास के दुकानदारों ने बताया कि नल के पास सफाई काफी महीनों से नहीं हुई। गंदगी और पानी भरने से डेंगू के मच्छरों के पैदा होने का डर बना रहता है, लेकिन जिम्मेदार लोगों का ध्यान इधर गया नहीं है। कई ऐसे चौराहे हैं जहां पर हैंड पंप तो है लेकिन बीमार पड़े हैं यह तस्वीर हरचंदपुर कस्बे की कस्बे की है जहां पर पानी पीने को मजबूर इस गंदगी भरे माहौल में लोग जिले में जिस प्रकार से हैण्डपम्पों की स्थिति खराब है। उससे लगता है कि जब अधिकारियों की अपनी जगह ही नहीं सही है हैंडपंप तो सहरों गांवों की हालत क्या होगी।

अनुज मौर्य रिपोर्ट

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