स्वाधीनता संग्राम में 18 अगस्त 1942 का सरेनी गोली कांड जिले के गौरवशाली इतिहास को करता है प्रतिबिंबित
रणबांकुरे को नहीं रोक सकी थी अंग्रेजी हुकूमत
लालगंजः(रायबरेली)!स्वाधीनता संग्राम में 18 अगस्त 1942 का सरेनी गोली कांड जिले के गौरवशाली इतिहास को प्रतिबिंबित करता है।देश को गुलामी की जंजीरों से आजाद कराने को हजारों की संख्या में देश भक्त तिरंगा फहराने के लिए सरेनी थाने की ओर बढ़े।पुलिस की गोलियों की तीव्रता भी उनके बढ़ते कदमों को रोक न सकीं!ऐतिहासिक तथ्यों के मुताबिक सरेनी क्षेत्र के चौकीदारों ने रामपुर कलां के गुप्तार सिंह के नेतृत्व में 11 अगस्त 1942 को सरेनी बाजार में बैठक की।निर्णय लिया गया कि सरेनी थाने में तिरंगा फहराया जाएगा।15 अगस्त को हैबतपुर में विशाल जन सभा में गुप्तार सिंह ने आंदोलन को अंतिम रूप दिया और तिरंगा फहराने की तिथि 30 अगस्त निर्धारित की।कुछ बसंती चोले वाले वीर युवकों ने 30 अगस्त के बजाए 18 अगस्त को ही तिरंगा फहराने की योजना बना डाली।युवाओं के आह्वान पर हजारों की संख्या में क्षेत्र की जनता सरेनी बाजार में एकत्र हुई।थानेदार बहादुर सिंह ने भींड़ को आतंकित करने के लिए नवयुवक सूरज प्रसाद त्रिपाठी को गिरफ्तार कर थाने में बंद कर दिया।फिर क्या, दीवाने तिरंगा फहराने को सरेनी थाने पर हमला बोल दिया!निहत्थी जनता के खून से खेलने का हुकूमत का इरादा साफ झलक रहा था,बावजूद इसके युवा और बुजुर्गों के बढ़ते कदमों की रफ्तार तेज होती जा रही थी। थानेदार ने थाने की छत पर चढ़ कर देशभक्तों पर फायरिंग शुरू कर दी।थानेदार के इशारे पर सिपाहियों ने भी बंदूक का घोड़ा खींच लिया।गोलियों की गूंज के साथ ही देशभक्तों की लाशें बिछती चली गईं।थाने में बर्बरता के बाद अंग्रेजों ने स्वाधीनता संग्राम में हिस्सा लेने वाले रणबांकुरों के घरों को निशाना बनाया और जम कर लूटपाट की। देश की खातिर अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वालों की याद में सरेनी बाजार में शहीद स्मारक का निर्माण कराया गया।यहां 18 अगस्त को क्षेत्र की जनता एकत्र होकर शहीदों को नमन करती है।जो कि बाद में सरेनी गोलीकांड के रूप में प्रसिद्ध हुआ।अंग्रेजों ने इसके बाद भी गांव-गांव छापा मारकर युवाओं को पकड़ा,घरों में लूटपाट की और जमकर यातना दी।बावजूद इसके किसी का जोश कम नहीं हुआ।पुलिस की गोलाबारी में गौतमन खेड़ा के औदान सिंह,सरेनी के सुक्खू सिंह,मानपुर के पं० रमाशंकर द्विवेदी,सुरजीपुर के टिर्री सिंह, हमीरगांव के चौधरी महादेव सहित पांच क्रन्तिकारी युवा शहीद हो गए और बड़ी संख्या में लोग घायल भी हुए।थाने के सामने ही शहीदों की याद में एक स्मारक बनाया गया है और प्रति वर्ष 18 अगस्त को श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है!इसी श्रंखला में बुधवार को शहीद स्मारक सरेनी प्रांगण में सरेनी गोलीकांड के अमर शहीदों की 79वीं पुण्यतिथि के अवसर पर पुष्पांजलि समारोह का आयोजन किया गया।पुष्पांजलि समारोह का आयोजन पिछले 25 वर्षों से किया जा रहा है!खून के छींटे धारा से धो रहा हूं बेसहारों का सहारा हो रहा हूं तुम जहां बारूद की फसलें उगाते मैं उन्हीं खेतों में मेहंदी बो रहा हूं बुधवार को बाराबंकी के प्रियांशु गजेंद्र की इन पंक्तियों से पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा और मौका था शहीद स्मारक परिसर में शहीदों की स्मृति में आयोजित कवि सम्मेलन का!कवि सम्मेलन का शुभारंभ विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह व एसडीएम विजय बहादुर के द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन से हुआ!इसके बाद प्रियांशु गजेंद्र ने वाणी वंदना प्रस्तुत की!कार्यक्रम को गति देते हुए अभय निर्भीक ने भारत माता का हरगिज सम्मान नहीं खोने देंगे अपने देश के तिरंगे का अपमान नहीं होने देंगे प्रस्तुत किया! देवरिया के बादशाह प्रेमी ने जाति धर्म भाषा भेष भिन्न हो हमारा किंतु भाईचारा एकता का ज्ञान भी जरूरी है पढ़कर वाहवाही लूटी! लगी हवा पश्चिम की जब से भूल रहे पुरवइया को जाने किसकी नजर लग गई अपनी सोन चिरैया को गाजियाबाद की शैलजा सिंह की पंक्तियों से श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए!अध्यक्षता धीरेंद्र बहादुर सिंह व संचालन विकास बौखल ने किया!आभार शहीद स्मारक ट्रस्ट के संयोजक अशोक श्रीवास्तव व अध्यक्ष अशोक त्रिवेदी ने संयुक्त रूप से व्यक्त किया!बाणी पुत्र फारुख सरल राम भदावर शबिस्ता बृजेश ने भी अपनी अपनी रचनाएं पढ़ीं!इस मौके पर मनोज द्विवेदी (दादा श्री),अशोक रामपुरी,अजय सिंह एडवोकेट, विनय विक्रम सिंह,अभितेंन्द्र सिंह राठौर एडवोकेट,प्रभात सिंह त्रिलोकचंदी,शीलू सिंह (समाजसेवी),महेंद्र प्रताप सिंह, राकेश अवस्थी,अमित कुमार,धर्मेंद्र सिंह प्रधान सहनीपुर,रोहित शर्मा,मनोज कुमार शर्मा आदि लोग मौजूद रहे!
संदीप फ़िज़ा रिपोर्ट