साहब केवल किसानन से ही हुई रहा प्रदूषण, या कौनो फैक्टरी पर ध्यान देगा

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बछरावां (रायबरेली)। एक तरफ सुप्रीम कोर्ट प्रदूषण को लेकर सख्त है। वही हरियाणा पंजाब तथा उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिवों को बुलाकर अपने अपने क्षेत्र में पराली जलाने पर पाबंद लगाने के लिए निर्देश भी दिए जा चुके हैं। इससे प्रशासनिक अमला पराली जलाने पर पूरी तरह सख्त है। मामला बछरावां ही नहीं वरन पूरे जिले का है एक तरफ सरकार पराली पर रोक लगाए हैं। दूसरी तरफ असामाजिक तत्वों द्वारा किसानों को जबरदस्ती फसाने के लिए पराली जला रहे हैं और प्रशासनिक अमला बिना जांच किए सीधे-साधे किसानों पर जुर्माना लगा रही हैं। वही गांव में एक दूसरे के प्रति ईर्ष्या द्वेष रखने वाले शरारती तत्व दूसरे के खेतों में पड़ी पराली को रात बिरात जाकर जला देते हैं और प्रशासन बिना जांच के जमीन मालिक के खिलाफ कार्यवाही कर देता है। किसानों ने बताया है कि पहले प्रशासन को यह जांच कर लेना चाहिए कि वास्तविकता में किसान ने आग लगाई है या कि किसी दूसरे ने आग लगाई है। तभी कार्यवाही होनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो क्षेत्र के किसान लामबंद होकर प्रशासन के खिलाफ धरना प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होंगे। एक तरफ आज राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस संपूर्ण भारत में मनाया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ परिवहन विभाग की कृपा से चल रही वर्षों पुरानी गाड़ियों पर कोई नियंत्रण नहीं किया जा रहा है। वह क्या ऑक्सीजन दे रहे हैं वही ईट भट्ठा व फैक्ट्रियों से कि चिमनियों से निकलने वाले धुंए पर प्रदूषण विभाग द्वारा कोई नियंत्रण न लगाया जाना सरकार की दोहरी मानसिकता को प्रदर्शित करता है।

रिपोर्ट -अनुज मौर्य/ अनूप कुमार सिंह

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