शिवगढ़ (रायबरेली)। किसी ने सच ही कहा हैं कि प्रभु गरीबी न देना, गरीबी जो देना तो कम से कम दो वक्त की रोटी और छत जरूर देना। जहां एक ओर शासन द्वारा योजनाओं को पात्रों तक पहुंचाने का ढिंढोरा पीटा जाता है वहीं जमीनी हकीकत कुछ और ही है। उदासीन अधिकारियों एवं जिम्मेदार सरकारी नुमाइंदों की खाऊ-कमाऊ नीति चलते योजनाओं का लाभ गरीबों को नहीं मिल पाता। जिसका जीता जागता उदाहरण शिवगढ़ क्षेत्र के निहाल खेड़ा मजरे सूरजपुर का रहने वाला दलित बेचालाल है। जिसने आवास के लिए खंड विकास अधिकारी से लेकर जिला अधिकारी, उप जिलाधिकारी, मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री सभी को पत्र लिखें किंतु नतीजा शून्य रहा। गरीबी से जूझ रहे बेचालाल पासी के परिवार के लिए गरीबी उस वक्त अभिशाप बन गई जब पूरा परिवार एक झोपड़ी के नीचे सो रहा था। बताते हैं कि बेचालाल अपनी पत्नी राजकुमारी, पुत्र मनीष (16), शिवकुमारी (12), बाबूलाल (7), अनुज (5), सतीश (2) के साथ कच्ची दीवार के सहारे रखें छप्पर के नीचे जीवन यापन कर रहा था। अचानक रात में छप्पर सहित गिरी दीवार के मलबे में पूरा परिवार दब गया। चीख-पुकार सुनकर दौड़े ग्रामीणों द्वारा किसी तरह पूरे परिवार को मलवे से बाहर निकाला गया। जिसमें गंभीर रूप से जख्मी मनीष (16), बाबूलाल (7) को आनन-फानन में सीएचसी शिवगढ़ में भर्ती कराया गया। इस बाबत जब हल्का लेखपाल तुषार साहू से बात की गई तो उन्होंने बताया कि तहसील प्रशासन को रिपोर्ट भेज दी गई है पीड़ित परिवार को शासन की ओर से हर संभव लाभ दिलाने का प्रयास किया जाएगा।