परशदेपुर(रायबरेली)आठवी मुहर्रम को हजरते-अब्बास की याद में परशदेपुर के छोटे इमामबारगाह से दोपहर में ज़ुल्जना और अलम का जुलूस रवाना हुआ, जो विभिन्न गलियों से होते हुए बड़े इमामबारगाह मंज़ूरल हसन के इमामबारगाह और फिर अपने रास्ते होते हुए छोटे इमाम बारगाह में समाप्त हुआ।
इस दौरान अंजुमन के साहबे बयाज डॉ आमिर,सैफ अख्तर,ने नॉहाख्वानी करी। अंजुमन हुसैनिया के लोगों ने नौहाख्वानी, सीनाजनी किया। जुलूस में शामिल लोग या अली, या हुसैन, या अब्बास, हाए सकीना की सदाएं बुलंद करते हुए चल रहे थे।जुलूस के दौरान जगह जगह कोल्ड्रिन और शर्बत की सबील लगी हुई थी । जुलूस से पहले अली अख्तर साहब के यहां मजलिस को खेताब फरमाते हुए मौलाना सादिख अब्बास खान ने कहा कि कर्बला वह जगह है, जहां से हमें इंसानियत का दर्स मिलता है। इमाम हुसैन ने इंसानियत के लिए अपना सब कुछ कर्बला में कुर्बान कर दिया। सबको यह पैगाम दिया कि कभी जुल्म के सामने अपने सिर को न झुकाना। इसीलिए महात्मा गांधी ने कहा था कि हमने हुसैन से यह सीखा है कि कुर्बानी पेश करके बड़ी से बड़ी जंग जीती जा सकती है। हुसैन ने सारी दुनिया को बता दिया कि सिर काटना इस्लाम नहीं है, बल्कि हक के लिए सिर को कटाने का नाम इस्लाम है।
पुलिस की निगरानी में समाप्त हुआ जुलूस
जुलूस के दौरान पूरे टाइम चौकी प्रभारी आशीष तिवारी अपने पुलिस के जवानों के साथ साथ जुलूस में मौजूद रहे।
एडवोकेट शम्शी रिजवी रिपोर्ट