रायबरेली। यहां तो आवय-जायेके ख़ातिर पूरी तरह छूट है। शायद यह जानवर मदमस्त आपस में लड़ते-झगडते लुरियाते हुए यही कह रहे हैं।जी हां यह है जट के पुरवा का प्राथमिक विद्यालय जहां बाउंड्री तो है लेकिन टूटी-फूटी बगल में धुआं उगलता भट्टा। शायद नैनिहाल बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ ही करने पर आमादा है इसके जिम्मेदार। प्रशासन की आंखों से यह अनदेखा तो नहीं,तभी तो न बाउंड्री वाल है! ना कोई सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम और बगल में बैठा है काल बनकर गंम्भीर बीमारी फैलाने के लिए यह भट्ठा कभी भी हो सकता है यहाँ कोई दुर्घटना। अब यह देखना है कि जिम्मेदार लोग कब इस ओर अपना नजर और नजरिया बदलते हैं और यहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम पढ़ाई के साथ-साथ करते हैं। खैर शिक्षक शिक्षण काल में पूरी तरह से अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं। पर इन पशुओं द्वारा किया गया गोबर सुबह अब! आप ही समझ सकते हैं। कैसे हो पाए सुचिता के साथ यहां पढ़ाई।
अनुज मौर्य/मनीष श्रीवास्तव रिपोर्ट