उत्तर प्रदेश से निधि द्विवेदी को हिन्दी साहित्य भारती की केन्द्रीय कार्यकारिणी के सदस्य के रूप में मिला स्थान
रायबरेली
हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए संकल्पबद्ध अन्तरराष्ट्रीय स्तर की संस्था *हिन्दी साहित्य भारती (अन्तरराष्ट्रीय)* की रायबरेली ईकाई की एक बैठक सरस्वती बालिका विद्या मंदिर सरस्वतीनगर के सभागार में अध्यक्षा डॉ चम्पा श्रीवास्तवजी के सानिध्य में संपन्न हुई। विश्व के 32 देशों और देश के 27 राज्यों मे अपने संगठनात्मक स्वरूप का विस्तार कर चुकी संस्था *हिन्दी साहित्य भारती* की उत्तर प्रदेश की संयुक्त महामंत्री श्रीमती निधि द्विवेदी ने संस्था की वैदेशिक एवम् केन्द्रीय कार्यकारिणी के गठन की जानकारी देते हुए संस्था के मूल उद्देश्यों पर प्रकाश डाला और अपने उद्बोधन में श्रीमती द्विवेदी ने बताया कि हिन्दी को राष्ट्रभाषा की मान्यता दिलाने के लिए तथा इसे विश्व भाषा बनाने के मार्ग पर चलने के उद्देश्य को लेकर संस्था के केन्द्रीय अध्यक्ष डॉ रवींद्र शुक्ल (पूर्व कृषि एवम् शिक्षा मंत्री उत्तर प्रदेश) के द्वारा संस्था का गठन किया गया है। भारतीय संस्कृति आधारित मानवीय मूल्यों की स्थापना में निरत् साहित्य साधकों को प्रकाश में लाना तथा उनकी पुस्तकों का प्रकाशन करना। साथ ही भूले बिसरे राष्ट्रवादी साहित्यकारों की कृतियों पर शोध और समीक्षा के द्वारा उन्हें प्रकाश में लाना आदि महत्वपूर्ण कार्य संस्था की प्राथमिकता में हैं।
संस्था के केन्द्रीय अध्यक्ष प्रख्यात साहित्यकार, कवि तथा राजनेता डॉ रवींद्र शुक्ल जी के साथ ही देश के मूर्धन्य साहित्यकार, वरिष्ठ शिक्षाविद, राज्यों के पूर्व राज्यपाल, अनेक विश्वविद्यालयों के कुलपति तथा प्रतिष्ठित धर्माचार्य भी संस्था से जुड़े हैं और अपना सक्रिय योगदान दे रहे हैं।
रायबरेली जिला की अध्यक्ष डॉ चम्पा श्रीवास्तवजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि “हिन्दी साहित्य भारती अपने पवित्र उद्देश्यों को लेकर निरंतर गतिमान है। हमारा यह प्रयास हो कि हिन्दी रूपी अश्वमेघ का अश्व कहीं रुकने न पाए।हमें अपनी भाषा पर गर्व होना चाहिए। हिन्दी बोलना, पढ़ना, पढ़ाना, यह गर्व का विषय है।” इस अवसर पर मार्गदर्शक डॉ संतलाल, डॉ वैशाली चन्द्रा, डॉ सन्तोष कुमार विश्वकर्मा, सन्ध्या श्रीवास्तव, आशीष मिश्र सहित पत्रकार बंधु उपस्थित रहे।
अनुज मौर्य रिपोर्ट