सैकड़ों उपलब्धि हासिल करने के बाद एक बार फिर डॉ बीरबल ने दी मानवता की मिशाल

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अंत समय मे ठेले पर लेटी इस गरीब लाचार महिला के लिए बने कर्णधार (डॉ बीरबल)

रायबरेली। जिला अस्पताल के सीनियर डॉक्टर बीरबल द्वारा अब तक सैकड़ों मानवीय कार्य किए गए जो लोगों के दिलों में सराहनीय रहे । गौरतलब है कि कोतवाली थाना क्षेत्र के बैराहना निवासी एक 10 वर्षीय स्कूली छात्र अपनी 65 वर्षीय बीमार दादी को अपनी माँ के साथ जब भी ज्यादा बीमार होती तो ये छात्र अपनी दादी को जिला अस्पताल लेकर पहुंच जाता था इस ठेले पर लेटी महिला के बारे में कई सारी जानकारियां मिली जैसा कि बताते चलें कि बीते कई सालों से यह गरीब बेसहारा लाचार महिला जो पोते के साथ ठेले पर इलाज के लिए आती थी। अब इस दुनिया में नही रही पुत्रों द्वारा बेकद्री के बाद इस महिला की जिम्मेदारी डॉ बीरबल ने अपने सर ले ली थी जो उनके द्वारा इस महिला का सालों से इलाज चल रहा था। इस महिला की भी जिद थी कि हमें इलाज सिर्फ डॉ बीरबल से ही करवाना है अन्यथा किसी से नहीं जहाँ भी मौजूद होते थे वही पहुंच जाती थी इसी क्रम के चलते अपने इलाज से हर संभव बचाने की कोशिश की पर बीते दिनों इस महिला को आखिरकार मौत ने अपने में समेट लिया जब अंतिम बार यह 10 वर्षीय छात्र अपनी दादी को लेकर इमरजेंसी पहुंचा तो इस्तेफाक से डॉ बीरबल वहीं मौजूद थे और इस बालक से पूछने लगे और क्या हाल है दादी के लेकिन जैसे ही दूसरे पल ठेले पर अचेत 65 वर्षीय महिला पर नजर पड़ी तो चेकअप करने लगे चेकअप के बाद डॉ बीरबल ने उस 10 वर्षीय छात्र से कहा अब सेवा पूरी हो चुकी है। आपकी दादी इस दुनिया मे नहीं रही ।ऊपर वाले की मर्जी के खिलाफ शायद कुछ नहीं होता है ।एक कहावत कही जाती हैं (होई है वही जो राम रचि राखा को करि तर्क बड़ा वही शाखा) और अंत में उस रुआंसे 10 वर्षीय बालक के हांथो में उदारवादी डॉक्टर बीरबल ने मानवता की पेश करते हुए बालक के हाथ में दादी के क्रिया कर्म के लिए अपनी जेब से ₹5000 निकालकर दे दिए और कहा इन का अंतिम संस्कार कर लेना और भी अगर कोई जरूरत हो बताना।अगर सभी डॉ मरीजों के साथ अच्छा व्यवहार करने लगे तो मरीज आधे से ज्यादा अपनत्व से ही सही हो सकते हैं।

अनुज मौर्य रिपोर्ट

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