एनपीएस स्कीम के विरोध में शिक्षिका

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विभाग की लापरवाही से भुखमरी की कगार पर पहुंची शिक्षिका

ऊंचाहार (रायबरेली)। परिषदीय विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से सात माह से एक षिक्षिका को वेतन इसलिए नहीं दिया गया क्योंकि उसने एनपीएस योजना के अन्तर्गत प्रान नम्बर का फार्म न भर कर उसका विरोध किया गया है। जबकि विभागीय आदेष सूची में वेतन देने का आदेष तक जारी 25 जनवरी 2019 को किया गया था, जिसका वेतन न मिलने पर पीड़ित षिक्षिका भुखमरी की कगार पर है। जिसने उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई है।

मामला ब्लाक के अन्तर्गत आने वाले प्राथमिक विद्यालय चतुरपुर मिश्रपुर का है। जहां पर सहायक अध्यापिका पद पर षिक्षिका जागृति तैनात है। षिक्षिका जागृति को 68 हजार की हुई भर्ती में चयन होने पर पांच सिंतबर 2018 को विद्यालय में तैनाती दी गई। जिसके बाद न्यू पेंषन स्कीम यानी एनपीएस योजना के तहत प्रान नंबर फार्म भरने के बाद परिषदीय विभाग वेतन भेजने के लिए कहा लेकिन षिक्षिका ने एनपीएस योजना में प्रान नंबर न देने की जिद पर डट गई, जिसका नतीजा यह हुआ कि विभाग के एक आदेष में वेतन देने के लिए लिस्ट जारी किया जिस लिस्ट में 25 जनवरी सन् 2019 के आदेष पर जागृति का नाम भी है लेकिन उसके बाद भी उसका वेतन नहीं निकाला गया। जबकि उसको शुरू से अब तक वेतन न देने पर पीडि़त षिक्षिका भुखमरी की कगार पर पहुंच गई है, जिसने अपने विभाग से जवाब तलब करते हुए यह सवाल किया है कि क्या एनपीएस से ही हमें नौकरी मिली है जो वेतन रोका गया है। उसने यह भी कहा कि प्रान नंबर फार्म नंबर भरने तक के लिए पैसा नहीं है और तो और उधार पैसा रिस्तेदार से लेकर अपने आने-जाने के लिए उठा रही है। पीडि़ता का आरोप है कि नियमित वेतन न मिलने पर षिक्षण व्यवस्था सुचारू रूप से चलाने के बावजूद अभी तक वेतन नहीं मिला है, जिसके कारण प्रार्थिनी भुखमरी की कगार पर है। पीड़िता ने उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर वेतन दिलाने की गुहार लगाई है। न्याय न मिलने पर कोर्ट की शरण लेने तक को कहा है। उधर बीईओ अनिल त्रिपाठी ने षिकायती पत्र मिलने की पुष्टि करते हुए बताया कि उच्चाधिकारियों का मामला है, जिसको विभाग के उच्चाधिकारियों को षिक्षिका का पत्र अग्रसारित कर भेज दिया है।

अनुज मौर्य रिपोर्ट

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