वक्त बदल रहा है, सिनेमा बदल रहा है। साथ ही कलाकारों की पीढिय़ों में भी बदलाव देखने को मिलने लगा है। बॉलिवुड के स्थापित कलाकारों की मौजूदगी में ही नई पीढ़ी के कलाकार जी-जान से अपनी पहचान बनाने में जुटे हैं। नई पीढ़ी के ऐसे ही दो कलाकार जल्द ही सिनेमाई आकाश में अपनी चमक बिखेरते दिखेंगे। ये दोनों कलाकार हैं ईशान खट्टर और जाह्नवी कपूर। एक फिल्म पुराने ईशान और डेब्यूटेंट जाह्नवी जल्द ही फिल्म धड़क में नजर आएंगे। यह फिल्म सुपरहिट मराठी फिल्म सैराट का हिंदी रीमेक है, जिसमें ये दोनों मुख्य किरदार निभा रहे हैं। अपनी फिल्म के बारे में बात करने के लिए दोनों ही कलाकार हाल ही में लखनऊ पहुंचे। उन्होंने फिल्म और उससे जुड़े अनुभवों के बारे में कई बातें शेयर कीं। हर फिल्म की अपनी किस्मत होती है ईशान बताते हैं कि हमारी फिल्म सैराट की अडॉप्शन है, रीमेक नहीं। दोनों ही फिल्मों की स्टोरी लाइन और प्लॉट एक जैसे हैं। बाकी हमारी फिल्म के किरदार, उनकी जुबान, माहौल और घटनाएं सभी अलग हैं। हमारे डायरेक्टर शशांक, ज्यादा बड़ी ऑडियंस को फिल्म की कहानी सुनाना चाहते हैं। सैराट की तरह हमारी फिल्म में भी सरप्राइजेस हैं, जो कि ऑडियंस को हैरान करेंगे। फिल्म में सैराट का अर्क जरूर है लेकिन वह कई मायनों में उससे अलग है। बाकी हर फिल्म की अपनी किस्मत होती है। हमारी फिल्म की भी है।
फिल्म सैराट के डायरेक्टर नागराज मंजुले ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने फिल्म के मेन कैरक्टर्स को शूटिंग से पहले अपने घर पर दो-तीन महीने के लिए साथ में रखा था, ताकि उनके बीच की बॉन्डिंग अच्छी हो सके। ईशान और जाह्नवी ने बताया कि हमने भी पर्दे पर अपनी केमिस्ट्री को बेहतर ढंग से दिखाने के लिए काफी मेहनत की है। हम रोज सेट पर मिलते थे। शूटिंग के बाद भी एक-दूसरे के टच में रहते थे। सीन की रिहर्सल करते थे। इसी का रिजल्ट है कि ट्रेलर और गानों में हमारी केमिस्ट्री को पसंद किया जा रहा है। जाह्नवी ने बताया कि फिल्म के प्रमोशनल टूर के तहत लखनऊ दूसरा शहर है। इससे पहले हम जयपुर गए थे। लखनऊ हमें बहुत कमाल का शहर लगा। हमने यहां कई साइट विजिट कीं, कई लोगों से मिले। यहां का माहौल बहुत प्यारा है। ईशान ने बताया कि हमने यहां रूमी दरवाजा और ईमामबाड़ा के साथ कुछ मॉन्यूमेंट्स भी देखे। हालांकि वक्त की कमी के चलते हम अंदर नहीं जा पाए। जयपुर और लखनऊ में काफी समानताएं हैं। दोनों ही शहर खाने-पीने और ऐतिहासिक धरोहरों के मामले में समृद्ध हैं। हमें जयपुर की तरह ही लखनऊ में भी ढेर सारा प्यार मिला है। उम्मीद है कि लोग हमारी फिल्म को इतना ही प्यार दें। इसके अलावा हमारी फिल्म में कुछ फ्रेश और मंझे हुए कलाकार भी हैं। सभी की केमिस्ट्री और परफॉर्मेंस कमाल की हैं। शशांक भी पूरी तैयारी के साथ सेट पर आते थे। कभी-कभी तो सड़क पर चलते-चलते वह कोई सीन शूट करने के लिए कह देते थे। इसी के चलते हमने 44 दिनों में ही फिल्म की शूटिंग पूरी कर ली थी। जाह्नवी ने बताया कि ऐक्टर होने का यही फायदा है कि हमें दूसरी जगहों पर जाने का मौका मिलता है। उनके कल्चर को जानने का मौका मिलता है। मैं धड़क की शूटिंग से पहले एक या दो बार उदयपुर गई हूं, लेकिन कभी ज्यादा बाहर जाने का मौका नहीं मिला। शूटिंग के दौरान मैंने वहां पर काफी वक्त बिताया। वहां के कल्चर, रहन-सहन को समझा। वहीं ईशान का कहना था कि मैंने भी फिल्म के लिए अपने कान छिदवाए क्योंकि मुझे किरदार के हिसाब से कान में ईयररिंग्स पहनने थे। फिल्म शुरू होने से पहले मैं दुबला था। शशांक के कहने पर मैंने फिल्म के लिए वजन बढ़ाया। फिल्म और फैमिली के प्रेशर के बारे में जाह्नवी ने कहा कि मैं अपनी पहचान खुद बनाना चाहती हूं। मुझसे लोगों को काफी उम्मीदें हैं और मैं उन्हें निराश नहीं करना चाहती हूं। ईशान का कहना है कि हमने फिल्म के बारे में बेसिक आइडिया लेने के लिए दो बार सैराट मूवी देखी। इसके बाद शशांक ने कहा कि हमें फिल्म नहीं देखनी चाहिए। हमें पुरानी फिल्म के कलाकारों की नकल करने के बजाय अपने तरीके से फिल्म के बारे में तैयारी करनी चाहिए। जब आप किसी फिल्म से जुड़ते हैं, जिससे लोगों का इतना जुड़ाव हो तो आपकी जिम्मेदारियां और बढ़ जाती हैं। अब तो बस फिल्म रिलीज होने का इंतजार है।