ज़ुल्म के आगे कभी सर न झुकाना चाहे सर कटाना पड़े

112

परशदेपुर (रायबरेली) । 2 मोहर्रम को मजलिसों मातम से माहौल ग़मज़दा रहा।शनिवार की शाम को मोहर्रम के चंद दिखने के बाद अजादार गम में डूब गए।इमामबारगाहो और घरों में मजलिसों मातम की सदाये गूंजने लगी ।अंजुमन के सेक्रेटरी इतरत नक़वी ने बताया कि चांद रात से 10वी तक शिया मोहल्ले में हर घर मे मजलिसों मातम होता है।

रात में इमाम बारगाह हाशिम अली ,इमाम बारगाह आग़ा हुसैन ,मंज़ूरल हसन,वसी रज़ा के यहां रोज़ मजलिस होती है।इमामबारगाह में मजलिस पढ़ते हुए अली अब्बास ने कहा कि आज इमाम हुसैन के नाम को हर मजहब का इंसान जानता है और उनकी कुर्बानियों का एहतराम करता है।इमाम हुसैन ने इंसानियत का पैगाम दिया है और दुनिया को बता दिया कि चाहे सर कटा दो लेकिन कभी ज़ुल्म के आगे अपना सर मत झुकाओ ।

मजलिस के बाद डॉ आमिर रिज़्वी ने अपनी पुरकशिश आवाज़ में नौहाख्वानी की जिससे सभी अज़ादारों के आंखों में आसूं आ गए।

इस मौके पर डॉ इतरत नक़वी,शम्सी रिज़वी,आरिफ नक़वी ,नाज़िम रिज़वी, अंजुम रिज़वी, परवेज़ ,आसिफ नक़वी,तालिब अब्बास,लारेब आदि लोग मौजूद रहे।

शम्शी रिजवी रिपोर्ट

Previous articleऑनर किलिंग चचेरे भाई ने बहन को उतारा मौत के घाट
Next articleमुकदमा वापिस न लेना रोडवेज चालक को पड़ा भारी, शरारती तत्वों ने किया बस पर हमला