जनवरी 2020 से ग्राहक को बैंकों से एनईएफटी के जरिये किये जाने वाले लेनदेन के लिये कोई शुल्क नहीं देना होगा.
नये साल में ग्राहकों को बैंकों की ओर से नई सौगात मिल सकती है. जनवरी 2020 से ग्राहक को बैंकों से एनईएफटी के जरिये किये जाने वाले लेनदेन के लिये कोई शुल्क नहीं देना होगा. नोटबंदी की तीसरी वर्षगांठ पर डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस संबंध में एक प्रस्ताव पेश किया है. केंद्रीय बैंक ने पार्किंग और पेट्रोल पंपों पर भुगतान के लिये फास्ट टैग का इस्तेमाल करने के लिये जरूरी व्यवस्था किये जाने का भी प्रस्ताव रखा है. अक्टूबर 2018 से सितंबर 2019 के बीच कुल गैर-नकद खुदरा भुगतान में डिजिटल भुगतान की हिस्सेदारी 96 फीसदी रही है.
NEFT से लेनदेन 20 फीसदी बढ़ा
इसी अवधि में नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) और यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) सिस्टम से क्रमश: 252 करोड़ और 874 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है. सालाना आधार पर एनईएफटी से लेनदेन में 20 प्रतिशत और यूपीआई में 263 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा कि भुगतान प्रणालियों में इस उल्लेखनीय वृद्धि की वजह रिजर्व बैंक द्वारा इस संबंध में कई कदम उठाया जाना है.
ऐसे में अब हर नागरिक को सशक्त करने के लिए रिजर्व बैंक ने बैंकों को निर्देश दिया है कि एनईएफटी प्रणाली के तहत बचत खातों से किए जाने वाले ऑनलाइन लेनदेन के लिए ग्राहकों से कोई शुल्क ना लिया जाए. इसके अलावा केंद्रीय बैंक ने भूटान में रुपे कार्ड से भुगतान की सुविधा मिलने की भी जानकारी दी.
भारत में डिजिटल भुगतान में बढ़ोतरी
उल्लेखनीय है कि आठ नवंबर 2016 को सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोट बंद कर दिए थे. इसकी जगह पर 2,000 और 500 रुपये का नया नोट चलन में लाया गया. भारत में डिजिटल पेमेंट्स की संख्या में नोटबंदी के बाद काफी बढ़ोतरी हुई है. नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NCPI) के सीईओ और एमडी दिलीप आसबे ने CNBC TV-18 को बताया कि संस्था वैश्विक स्तर पर विस्तार के लिए विचार कर रही है. उन्होंने यह भी कहा कि संस्था इसके लिए 6 से 9 महीने में पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च करेगी.