गंगा घाट पर किया गया अंतिम संस्कार
लालगंज (रायबरेली)। अक्सर हम देखते है कि घर मे पाली जाने वाली गाय जब तक दूध देती हैं तब तक उनकी कदर होती है ।जैसे ही दूध देना बंद करतीे है,लोग भगा देते है या उनको चारा पानी कम कर देते है लेकिन कुछ ही व्यक्ति एैसे होते हैं जो इसके बाद भी कद्र कम नही करते । बल्कि मां की तरह मानते हैं ।
कस्बे के शांती नगर के रहने वाले आलोक कुमार मिश्र जो कस्बे के बरातीलाल गंगाराम स्कूल मे अध्यापक है जिनके पास 15 वर्षों से एक गाय पाल रखी थी । जिसे वो घर के एक सदस्य की तरह मानते थे । उन्होनो बताया कि गाय माता कब हमारे परिवार का हिस्सा बन गई हमे पता ही नही चला आज गाय माता के चले जाने से हम सभी परिवारीजन अत्यंत दुखी हैं। आलोक कहते हैं जिस मां का दुग्ध पान करके हम सभी बच्चे बडे हुए हैं उसे बूढी हो जाने के बाद मे सराहा देने का कर्तव्य तो बनता है , मैने माँ स्वरूपा होने के कारण दाह संस्कार हेतु गंगा घाट ले गये और विधि विधान के साथ अंतिम संस्कार किया ।
अनुज मौर्य/मनीष श्रीवास्तव रिपोर्ट