धड़क की रिलीज से पहले ही जाह्नवी कपूर स्टार बन चुकी हैं। फिल्म रिलीज पर है और इसके गानों के साथ-साथ जाह्नवी और ईशान की जोड़ी खूब पसंद की जा रही है। अपनी पहली फिल्म को लेकर जाह्नवी काफी नर्वस हैं और उत्साहित भी। इस मुलाकात में वह अपनी फिल्म, बहन, पिता और अपने सपनों के राजकुमार के बारे में दिल खोलकर बातें करती हैं।
सैराट एक टीन-ऐज लव स्टोरी है। आप प्यार के बारे में क्या सोचती हैं?
मुझे लगता है प्यार जिंदगी है। हम दुनिया में जो कुछ करते हैं, प्यार के लिए ही तो करते हैं। हां, प्यार के कई रूप हो सकते हैं, मगर हर रिश्ते में हम प्यार की ही दरकार रखते हैं।
आपने अपने इंटरव्यू में कहा है कि अपने माता-पिता (श्रीदेवी-बोनी कपूर) की जोड़ी आपके लिए प्रेम की आदर्श जोड़ी है तो अपने लिए आप कैसे जीवनसाथी की कल्पना करती हैं?
(मुस्कुराते हुए) ऐसा लड़का, जिसके लिए मैं अल्टीमेट होऊं। वह मुझ पर जान छिड़के और मुझे खूब हंसाए।
अपनी मॉम श्रीदेवी की कौन-सी फिल्में आपको पसंद हैं?
आपको जानकर हैरानी होगी, मगर मैंने मॉम की 315 फिल्मों में से सिर्फ 5 फिल्में देखी हैं। उनकी मिस्टर इंडिया मुझे बहुत मजेदार लगी। उसके अलावा सदमा और इंग्लिश-विंग्लिश भी बहुत पसंद आई थी। मॉम मुझे खास तौर पर पसंद है। इस फिल्म के बाद से मेरी और मॉम की बॉन्डिंग जबरदस्त हो गई थी। इस फिल्म को बनाना हमारे लिए निजी अनुभव था।
जिंदगी की आधार स्तंभ (श्रीदेवी) के चले जाने के बाद दोबारा काम पर लौटना बहुत कठिन रहा होगा?
कई बार जो आपकी सबसे बड़ी कमजोरी होती है, वही आपकी ताकत भी बन जाती है। तब वह मेरी ताकत बन गईं। मैं जब शूटिंग पर लौटी थी, तब मैंने अपना पूरा ध्यान काम पर लगा दिया। मैं कभी अपने दुख को याद करके सेट पर नहीं रोई, ना ही मैंने उसे अपने किसी इमोशनल सीन में इस्तेमाल किया। हां खुद को काम में इस तरह से झोंक दिया कि कला को निखार सकूं। ये सच है कि पहले मेरे बारे में हर बात मॉम सोचती थीं, मैं बेपरवाह रहती थी, मगर अब मुझे अपने बारे में सोचना पड़ता है, मगर अब कई बार खुद के बारे में सोचने का वक्त भी नहीं निकाल पाती।
आपने बताया कि बचपन में आप बहुत शरारती थीं, कभी मम्मी से सजा मिली?
मेरी मॉम ने हम पर कभी हाथ नहीं उठाया। हां, सजा के तौर पर वह अक्सर मेरा फोन ले लेती थीं। वैसे मैं ऐसे काम कम करती थी, जिससे मुझे सजा मिले। मगर जब कभी वह मेरा फोन ले लेतीं, मैं रोना शुरू कर देती थी और फिर मेरे आंसुओं को देखकर वह फौरन पिघल जाती थीं। उन्हें मनाना बहुत आसान होता था। वह ज्यादा समय तक गुस्सा या नाराज नहीं रह पाती थीं।
जबसे आप इंडस्ट्री में आई हैं, आप लगातार सोशल मीडिया और पब्लिक प्लेसेज पर फॉलो की जाती रही हैं। कभी कोफ्त होती है?
कभी-कभार मुश्किल जरूर हो जाती है, मगर मुझे लगता है ऐसे कितने लोग हैं, जिन्हें फॉलो किया जाता है? या फिर जिनके बारे में लोगों को पढऩे की उत्सुकता बनी रहती है। जो लोग मुझे सोशल मीडिया पर चर्चित रखते हैं, मैं उनकी शुक्रगुजार हूं। मुझे अच्छा लगता है, जब लोग मुझे अटेंशन देते हैं।
भविष्य में अपनी स्क्रिप्ट को लेकर किससे सलाह लेंगी?
मैं पापा, अंशुला दी, अर्जुन भाई, खुशी, करण (करण जौहर) और शशांक (निर्देशक शशांक खेतान) से सलाह लूंगी। मुझे लगता है, ये सब मुझे सही सलाह देंगे।
आप करण जौहर को अपने जीवन में किस रूप में देखती हैं?
मैं उनको एक मेंटोर की तरह देखती हूं। मैं उनकी हमेशा शुक्रगुजार रहूंगी और मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि उन्होंने मुझमें ऐसा कुछ देखा और इतना बड़ा मौका दिया। उन्होंने मुझे हर कदम पर प्यार और सराहना दी है। वह एक आर्टिस्ट को निखारने में अपनी पूरी जान लगा देते हैं। मैं खुश हूं कि मुझे उनसे बेहतर गाइडेंस मिल रही है।
आपको इस इंडस्ट्री की क्या चीज पसंद और नापसंद है?
मुझे यहां के अवसर पसंद है, जिससे हमें काम करने का मौक मिलता है। मुझे ऐक्टिंग से बेहद प्यार है और इंडस्ट्री में सभी लोगों ने हर तरह से काफी सपॉर्ट भी किया है। इस चीज की मैं काफी सराहना भी करती हूं। ऐसी कोई चीज नहीं है जो मुझे नापसंद हो। मुझे इंडस्ट्री की हर चीज प्यारी है।
सैराट का क्लाइमेक्स देख कर कैसा लगा?
फिल्म बेहद अच्छी है, पर फिल्म का क्लाइमेक्स देख मेरी बोलती बंद हो गयी। आप फिल्म में इतना गहरे उतर जाते हैं कि क्लाइमेक्स देख कर आप अंदर तक हिल जाते हैं। उस फिल्म का प्रभाव मुझ पर गहरा रहा और जिसने भी यह फिल्म देखी, वह क्लाइमेक्स को घर तक ले गया। कई बार हम फिल्म देखकर आगे बढ़ जाते हैं, मगर क्लाइमेक्स देखने के बाद मैं उसी में उलझकर रह गई।