एक नव दीक्षित शिष्य ने अपने गुरु से कहा- गुरुदेव, मेरा भी मन करता है कि आपकी ही तरह मेरे भी कई शिष्य हों और सभी मुझे आप जैसा ही मान-सम्मान दें। गुरु ने कहा-कई वर्षों की लंबी साधना के पश्चात तुम्हें भी एक दिन यह सब प्राप्त हो सकता है। शिष्य ने कहा-इतने वर्षों बाद क्यों गुरु ने शिष्य को तख्त से उतरकर नीचे खड़ा होने को कहा। फिर स्वयं तख्त पर खड़े होकर कहा-जरा मुझे ऊपर वाले तख्त पर पहुंचा दो। शिष्य बोला-गुरुदेव! भला मैं खुद नीचे खड़ा हूं, फिर आपको ऊपर कैसे पहुंचा सकता हूं इसके लिए तो पहले खुद मुझे ही ऊपर आना होगा। गुरु ने कहा-ठीक इसी प्रकार यदि तुम किसी को अपना शिष्य बनाकर ऊपर उठाना चाहते हो तो तुम्हारा उच्च स्तर पर होना भी आवश्यक है। शिष्य गुरु का आशय समझ गया।