किससे पूछने के बाद फ़िल्म साइन करते हैं अमिताभ बच्चन

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आम तौर पर अमिताभ बच्चन अपनी बहु ऐश्वर्या राय, पोती आराध्या और बेटी श्वेता बच्चन नंदा की प्रशंसा करते दिखाई देते हैं. ऐसा लगता है कि अमिताभ बच्चन को बेटियों से बेहद प्यार है.

लेकिन अब श्वेता अपने पिता को सलाह भी देती हैं. हाल में श्वेता की किताब के लांच के दौरान अमिताभ ने कहा कि वो फ़िल्म साइन करने से पहले बेटी श्वेता की राय ज़रूर लेते हैं

करन जौहर का कहना है कि श्वेता के अंदर टैलेंट कूट-कूट कर भरा है. वो कहते हैं, “वो हर एक बात को इतनी खूबसूरत तरीके से पेश करती हैं की सुनने वाले को मज़ा ही आ जाता है.”

“श्वेता जाने-माने बॉलीवुड सितारों की काफी अच्छी मिमिक्री करती हैं, पर अफ़सोस ये कोई नहीं जानता और ना ही कभी किसी ने देखा है. श्वेता बहुत ही शर्मीली हैं.”<

करन जौहर अपने बचपन की यादें ताज़ा करते हुए कहते हैं कि जब वो और श्वेता छोटे थे तो उनकी आपस में खूब बनती थी क्योंकि दोनों का मकसद अभिषेक बच्चन को परेशान करना होता था

बेहतरीन एक्टर हैं श्वेता

अमिताभ बच्चन का मानना है की श्वेता जो भी कहती हैं वो सच ज़रूर होता है. वो कहते हैं, “उसकी ऑब्ज़रवेशन पावर बहुत अच्छी है. मैं और घर के बाकी लोग उसकी बात से सहमत होते हैं. श्वेता के पास हमेशा अपनी एक राय होती है चाहे कोई बात घर में हुई हो, इंडस्ट्री में, इस देश में या देश के बहार.”

बिग बी कहते हैं, “मैं अपनी हर फ़िल्म के बारे में श्वेता से पूछता हूँ. अगर वो कहती हैं की ये फ़िल्म हिट होगी तो वो सच में हिट होती है. और अगर वो कहे कि फ़िल्म में दम नहीं है तो वो बॉक्सऑफ़िस पर नहीं चलती. श्वेता मुझे मेरी स्क्रिप्ट्स चुनने में भी मदद करती है. कहानी को देखने का उसका अपना एक अंदाज़ है.”

बॉलीवुड के ‘शहंशाह’ कहते हैं कि “ये मेरा दावा है कि श्वेता परिवार की सबसे बेहतरीन कलाकार है, क्योंकि हमारे परिवार का एक नियम है कि हम हर पार्टी या इवेंट के बाद सब साथ बैठते है और बातें करते हैं. श्वेता उस वक़्त सभी लोगों की नक़ल उतारती है और सभी के लिए घर में ख़ास वक्त होता है”.

कहानियों के साथ पले-बढ़े

श्वेता बच्चन अपने बचपन को याद करते हुए कहती हैं कि “मैं और अभिषेक कहानियाँ सुनते हुए बड़े हुए हैं. हम दोनों को मेरी दादी और दादाजी कहा करते थे कि किताबें पढ़ो. हर रात सोने से पहले मैं और अभिषेक दोनों दादी के कमरे में जाते थे और उनसे कहानियाँ सुनते थे. हमारा जी करता था कि हम वहां बैठे रहें और कहानियाँ सुनते रहें.”

श्वेता कहती हैं की उन्हें याद है की उनके दादाजी हरिवंश राय बच्चन उनके हर जन्मदिन पर उनके लिए कविताएं लिखा करते थे.

अपनी पहली किताब ‘पैराडाइस टावर्स’ के बारे में वो कहती हैं, “मेरे नानाजी भी मेरे लिए कविता लिखते थे. मेरे नानाजी का मानना था कि अपनी ज़िन्दगी खुल के जीनी चाहिए.”

“ऐसे ही उन्होंने अपनी तीनों बेटियों की ज़िन्दगी बनाई. मेरे नाना मुझे बंगाली में खत लिखते थे और ये अफ़सोस की बात है कि मैं उन्हें पढ़ नहीं पाती थी. पर वो सारी चिट्ठियां आज भी मेरे पास हैं. मेरे नाना और दादा दोनों का मुझ पर असर रहा जिस वजह से मुझे भी लिखने का शौक़ है.”

श्वेता कहती हैं, “मुझे अच्छे से याद है कि मैंने अगर अपने जीवन में सबसे पहले कुछ लिखा तो वो था पापा के लिए गेट वेल सून कार्ड. जब कुली फ़िल्म के सेट पर पापा का एक्सीडेंट हुआ था तब वो हॉस्पिटल में थे.”

“हमें उनसे मिलने नहीं दिया जाता था. तो मैं हर शुक्रवार उन्हें एक कार्ड लिख के भेजती थी की हम सब घर पर ठीक हैं, हमारी पढाई ठीक चल रही है, आप मत लेना और प्लीज़ जल्दी ठीक होकर घर वापिस आ जाना.

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