रायबरेली। कांग्रेस छोडऩे के बाद रायबरेली को गांधी परिवार का गढ़ कहे जाने का लगातार विरोध कर रहे एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह की मुहिम रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा में भी धीरे-धीरे सफल होती दिखी। भाजपा में शामिल होने के बाद एमएलसी श्री सिंह अपनी जनसभाओं में लगातार जनपद की उन महान विभूतियों से जनता को परिचित करा रहे हैं जिसके बारे में नौजवान पीढ़ी को पता ही नहीं है। एमएलसी ने महर्षि जमदग्नि के नाम व उनकी तपस्थली की जब अपनी सभाओं तथा जनसंपर्क में चर्चा शुरू की तो युवा पीढ़ी को पता चला की रायबरेली को भी ऐसे महान तपोनिष्ठ संत का सानिध्य मिला।
जनसभा के दौरान देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी महर्षि जमदग्नि का नाम लेकर अपने संबोधन की शुरूआत की। यही नहीं अवध क्षेत्र के ऐतिहासिक पृष्ठ पर अंकित रायबरेली के किसान आंदोलन के प्रणेता जिस विभूति अमोल शर्मा के सम्मान में एमएलसी ने चंदनिहा में द्वार भी बनवाया है उन्हीं अमोल शर्मा का नाम भी प्रधानमंत्री ने कोड किया। एमएलसी इस बात का लगातार जोर दे रहे हैं कि रायबरेली की पहचान गांधी परिवार नहीं बल्कि जमदग्नि, डालभ्य और गोकर्ण जैसे ऋषि हैं जिनके तपोबल से यह जनपद कलम और कृपाण में लगातार धनी होता चला गया। भाजपा की जनसभाओं में एमएलसी द्वारा रायबरेली के महापुरुषों की तस्वीरें भी लगवाई जा रही हैं। एमएलसी के इस अभियान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उद्बोधन से बड़ा बल मिला है। मार्डन कोच फैक्ट्री में जमदग्नि ऋषि को इंगित करते हुए की मोदी ने कहा कि रायबरेली अध्यात्म और स्वतंत्रता संग्राम से लेकर राजनीति तक में दिशा दिखाई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह वीरा पासी और राणा बेनी माधव के त्याग की भूमि है। यहां जायसी का अपनत्व है तो यहीं महावीर प्रसाद द्विवेदी की रचनाओं ने यहां आकार लिया है। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन के प्रणेता अमोल शर्मा की इसी भूमि रायबरेली ने राजनारायण को भी अपना आशीर्वाद दिया है। पीएम के उद्बोधन और एमएलसी की कोशिशों को एकाकार करने वाले भाजपा के कार्यकर्ता व समर्थकों का मानना है कि रायबरेली से कांग्रेस मुक्त अभियान का श्रीगणेश एमएलसी ही करेंगे। फिलहाल राजनीतिज्ञों का मानना है कि रायबरेली को कांग्रेस मुक्त करने के लिए एमएलसी ने जो कैंपेन चला रखा है मोदी ने उसको बड़ी धार दी है जिसका परिणाम आने वाले समय में दिखेगा।