अमरीका ने चीन पर आरोप लगाए हैं कि उसने अमरीका की कई सरकारी एजेंसियों को हैक करने की कोशिश की है.
इस सिलसिले में अमरीकी न्याय विभाग ने चीन के दो नागरिकों की ओर इशारा करते हुए कहा है कि वे पश्चिमी देशों की सरकारी एजेसियों को हैक कर रहे थे.
इन दोनों चीनी नागरिकों के नाम झु हुआ और झैंग शिलोंग बताए गए हैं, जो कि ‘एडवांस परसिसटेंट थ्रेट 10’ समूह के सदस्य थे. यह समूह चीन की खुफिया एजेंसी से जुड़ा है.
अमरीका के साथ-साथ ब्रिटेन ने भी चीन पर इसी तरह के आरोप लगाए हैं. ब्रिटेन ने कहा है कि चीन ने दोनों देशों के बीच बने आर्थिक जासूसी समझौते का उल्लंघन किया है.
अमरीकी ख़ुफिया एजेंसी एफबीआई के निदेशक क्रिस्टोफर रे ने इस संबंध में एक प्रेस वार्ता कर कहा, ”हमारी जांच में पाया गया है कि यह मामला बेहद गंभीर है और राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचा सकता है. इसके जरिए हमारे देश के आर्थिक तंत्र को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है. चीन चाहता है कि वह अमरीका को हटाकर दुनिया के शीर्ष पर खुद को स्थापित कर ले.”
एफबीआई ने बताया है कि इन हैकरों ने अमरीकी नौ सेना के कम्प्यूटर भी हैक किए और 1 लाख से अधिक कर्मचारियों के निजी डेटा को चोरी किया.
अमरीका के डिप्टी एटर्नी जनरल रोड रोसनटीन ने कहा कि चीन ने साल 2015 में हुए समझौते का उल्लंघन किया है जिसके तहत दोनों देशों ने वादा किया था कि वे आर्थिक साइबर जासूसी नहीं करेंगे.
वहीं ब्रिटेन ने कहा है कि वह अपने सहयोगी देशों के साथ मिलकर चीन पर दबाव बनाने की कोशिश करेगा जिससे चीन इस तरह की साइबर जासूसी पर लगाम लगाए.
अमरीका और ब्रिटेन के अलावा ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जापान, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड और स्वीडन भी चीन पर इस तरह के आरोप लगा चुके हैं.
हालांकि अमरीका और ब्रिटेन ने उन कंपनियों के नाम जाहिर नहीं किए हैं जिनके डेटा को हैक किया गया.