भाजपा नेता अतुल सिंह ने ठंठ से ठिठुरते गरीबों में बांटे कंबल
रायबरेली। समाज के प्रभुतासम्पन्न लोगों में यदि पीडि़त, परेशान और असहाय तबके के प्रति समर्पण के भाव पैदा हो जाये तो अभिशाप भी आशीर्वाद लगने लगते हैं। गरीबी भी प्रकृति का दण्ड ही है जो आर्थिक रूप से मजबूत वर्ग के समर्पण से भले दूर न किया जा सके लेकिन उससे मिलने वाली तकलीफें कम अवश्य की जा सकती हैं। इन्हीं तकलीफों को कम करने के लिए भाजपा के युवा नेता अतुल सिंह ने ठंठ से ठिठुरते गरीबों को कंबलों देकर उन्हें इस हाड़ कंपाऊ ठंठ से निजात दिलाने का काम किया। श्री सिंह ने कहा कि गरीबों की सेवा ही मानवता की सच्ची सेवा है।
प्रत्येक वर्ष की भांति ऊंचाहार के मलिन का पुरवा, सिद्धौर, तेजी का पुरवा, पूरे कोडिय़ा व बिछिया वादी, दौलतपुर, पूरे दीना, पूरे आशा, पूरे बेसन, पूरे फूल सिंह, पूरे कुम्हारन आदि गांवों में 225 गरीब विधवाओं, दिव्यांगों व जरूरतमंदों को कंबल वितरित किया। अतुल सिंह ने कहा कि आज दिव्यांगों को कंबल देते हुए अपार प्रसन्नता हो रही है। क्योंकि अभी तक विकलांगता के विषय में भारतीय जनमानस का चिंतन ज्यादा उदार नहीं रहा। कारण कि विकलांगों को नीचे दर्जे का इंसान मान लिया गया और उनकी ओर नेक-नियत से देखना मुनासिब नहीं समझा गया। केन्द्र की मोदी सरकार ने सबसे पहले विकलांगों को दिव्यांग का नाम देकर उनका सम्मान बढ़ाया है। श्री सिंह ने कहा कि ऊंचाहार की जनता हमारा परिवार है, मैं हमेशा गरीबों, असहायो की मदद करता रहूंगा। श्री सिंह ने कहा कि गरीबों की सेवा सबसे पुण्य का कार्य है। केंद्र और प्रदेश सरकार गरीबों के लिए बहुत सारी योजनाएं चला रही है। मोदी जी और योगी जी के नेतृत्व में देश और प्रदेश का चौमुखी विकास हो रहा है। हमारा प्रयास है कि जरूरतमंदों की हमेशा मदद करता रहूं। सामाजिक सहयोग के हर क्षेत्र में आगे रहने वाले अतुल सिंह ने कहा कि हमारा समाज इंसानों से मिलकर नहीं बना है बल्कि अमीर और गरीब, ताकतवर, कमजोर, सुन्दर और कुरूप, अक्षम और सक्षम से मिलकर बना है। सारी चीजें तभी ठीक हो सकती हैं जब दिव्यांगजनों को तमाशे की तरह देखा जाना बन्द हो जायेगा। यह तभी सम्भव है जब समाज की मानसिकता व संस्कृति में बदलाव आयेगा। इस मौके पर भाजपा नेता डीएन पाठक, पूर्व मंडल अध्यक्ष विनायक सिंह, युवा नेता दीपू सिंह, लालू सैनी, प्रधान दिनेश कुमार, आदित्य सिंह, देवतादीन सरोज, सतीश सोनी आदि लोग उपस्थित रहे।