जिस देश में कभी साइकल पर रखकर रॉकेट इधर से उधर ले जाए जाते थे, उसी देश ने आज आसमान पर कब्ज़ा करना सीख लिया है. आसमान में भारत का नाम लिखने के पीछे इसरो है और फिर उसने नया कीर्तिमान छुआ है.
पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) ने अपनी 45वीं उड़ान PSLV-C43 में HysIS और 30 अन्य सैटेलाइट लॉन्च की हैं. ये लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा में सतीश धवन स्पेस स्टेशन के फ़र्स्ट लॉन्च पैड से हुई.
इस साल PSLV का इस्तेमाल करने वाला ये छठा मिशन है. HysIS, भारत की अपनी ऑब्ज़र्वेशन सैटेलाइट है. ये भारत को कृषि, वन, तटीय इलाक़ों, नदियां-झीलें, मिट्टी और दूसरे जियोलॉजिकल पर्यावरण से जुड़ी कई ऐप्लिकेशन के लिए हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग सर्विस मुहैया कराएगी.
आसान शब्दों में कहें तो इमेजिंग टूल ना केवल वायुमंडल की गतिविधियों और जलवायु परिवर्तन पर नज़र रखने में मदद करेंगे बल्कि साथ ही पृथ्वी की मैग्नेटिक फ़ील्ड का अध्ययन करने में आसानी पैदा करेंगे.
HysIS का कुल वज़न 380 किलोग्राम है. सैटेलाइट पेलोड में 730 वॉट का पावर बैकअप और 64Ah लियोन बैटरी है. ये साल 2023 तक ऑब्ज़र्वेशन जारी रखेगा जब ये मिशन ख़त्म होगा.
इसके अलावा अन्य सैटेलाइट में 23 अकेली अमरीका की हैं.
ये यान इन सभी सैटेलाइट को दो अलग-अलग ऑरबिट में इंजेक्ट करेगा. PSLV (PS4) इंजन को रिस्टार्ट करने की चौथी स्टेज के बाद प्राथमिक सैटेलाइट HysIS को 636 किलोमीटर पोलर सन सिंक्रोनस ऑरबिट (SSO) और को-पैसेंजर सैटेलाइट को 504 किलोमीटर पोलर SSO में स्थापित करेगा.
PSLV लॉन्चर की कुल लम्बाई 39.4 मीटर है और इसमें फ़ोर स्टेज रॉकेट लगा है. अगर ये पूरा अभियान कामयाब रहता है तो ये PSLV मॉडल का 13वां सफ़ल लॉन्च होगा.
इस लॉन्च के बाद इसरो के लिए दूसरा सबसे अहम अभियान चंद्रयान है जो 2019 की शुरुआत में होना है.