रायबरेली। आईएएस नेहा शर्मा ने रायबरेली की जिलाधिकारी का पदभार ग्रहण कर लिया है। जनपद में बेलगाम प्रशासनिक व्यवस्था पटरी पर लाना और सामंजस्य के साथ सरकारी योजनाओं व कार्यक्रमों को जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाना, उनके समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है। ऊंचाहार, डलमऊ, लालगंज व सदर के उपजिलाधिकारियों की कुछ गतिविधियों की वजह से बीते कुछ दिनों में जिस तरह प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया जा रहा है, वह भी चिन्ता जनक है। जनपद में चल रही यूपी बोर्ड की परीक्षाओं को सकुशल सम्पन्न कराना और विकास खंडों में स्वच्छता अभियान के तहत शौचालय निर्माण में चल रहे भ्रष्टाचार के खेल को समाप्त कराने की चुनौती भी बड़ी है। जहां तक नवागत डीएम के काम करने के तौर तरीकों का सवाल है, वह रायबरेली की अवाम की अपेक्षानुरूप है। सोशल साइट्स और अन्य तरकीबों से आम आदमी की समस्याओं से जुड़ी रहने वाली नेहा शर्मा तेज व त्वरित परिणाम पसन्द करती हैं, इसलिए उम्मीद की जा सकती है कि उनके नेतृत्व में जनपद तरक्की के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ेगा और आने वाला लोस चुनाव भी निष्पक्ष व सकुशल सम्पन्न होगा। ऊंचाहार तहसील के एसडीएम प्रदीप वर्मा पर बीते दिनों कई गंभीर आरोप लगे। उनके विरुद्ध एक भूमिधरी जमीन पर जबरन कब्जा कराने की शिकायत निवर्तमान डीएम संजय कुमार खत्री से की जा चुकी है। अपनी शिकायत से चिढ़े एसडीएम वर्मा ने पीड़ित को खुलेआम धमकी दे डाली कि ‘वह डिप्टी कलक्टर हैं चाहें तो उसका घर भी विपक्षी को लिखवा दें’। यही नहीं पीड़ित ने इससे पहले जब जमीन बचाने की गुहार लगाई थी तो एसडीएम ने कहा कि ‘मारपीट कर अपनी जमीन बचा लो हम कुछ नहीं कर सकते’। अपने पद के गुरूर में चूर निवर्तमान डीएम के कृपा पात्र एसडीएम ऊंचाहार श्री वर्मा की कार्यशैली पर नई डीएम को विशेष नजर रखनी होगी ताकि योगी सरकार की मंशा पूरी हो सके। डलमऊ के एसडीएम जीतलाल सैनी पर एक शिक्षक को थप्पड़ मारने का आरोप लगा, काफी हाय, तौबा मची लेकिन शिक्षक को न्याय नहीं मिला। उल्टे उसे उत्पीड़ित करने के षडयन्त्र अभी भी चल रहे हैं। इस अधिकारी ने भी जिला प्रशासन की बड़ी फजीहत कराई है। लालगंज के एसडीएम सुरेश कुमार सोनी से उनके अधीनस्थ कर्मचारी ही पीड़ित हैं। राजनैतिक ताकतों के हाथ की कठपुतली की तरह काम कर रहे लालगंज के एसडीएम श्री सोनी कोई भी तटस्थ निर्णय नहीं ले पाते। आईएएस रैंक के सदर एसडीएम शशांक त्रिपाठी भी अनेक बार प्रशासनिक उपहास का कारण बन चुके हैं। अतः जिलाधिकारी को ऐसे अधीनस्थों को आम आदमी व सरकार के प्रति जबाबदेह बनाने की जिम्मेदारी होगी। समूचे जनपद से लेखपालों के विरुद्ध आ रही अनेक गंभीर शिकायतों ने भी प्रशासनिक सुचिता को कटघरे मे खड़ा कर रखा है। कहीं सरकारी जमीन पर कब्जा कराने के लिए पांच हजार रुपए न देने पर शौचालय के लाभार्थी के विरुद्ध मुकदमा लिखाने की शिकायत है तो कहीं वरासत के लिए पैसा वसूलने के आरोप। पूर्व डीएम ने ऐसी शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया, इसीलिए प्रशासन पर ऊंगलियां उठाई गयीं। केवल कागजी घोड़े ही पूर्व डीएम दौड़ाते रहे, उन्होंने कभी किसी जन शिकायत का धरातलीय परीक्षण नहीं किया और न ही जरूरत समझी। फिलहाल नेहा शर्मा के लिए कलक्टर के तौर पर रायबरेली में ऐसे मामलों से निपटना आसान नहीं होगा।