महराजगंज रायबरेली।
क्षेत्र में गुरुवार की शाम हुई भारी बारिश व लगातार 15-20 मिनट तक ओलावृष्टि से फसलों को खासा नुकसान हुआ है। वहीं रही सही कसर शुक्रवार की शाम को तेज हवाओं के साथ हुई बरसात ने पूरी कर दी है। तेज हवाओं के साथ हुई बरसात व ओलावृष्टि ने किसानों की कमर तोड़ दी है। ओलावृष्टि की वजह से मटर, सरसों, गेहूं,आलू व सब्जी आदि फसलों सहित आम की फसल में खासे नुकसान के चलते किसानों के चेहरों पर मायूसी छाई है। प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ के ओलावृष्टि से प्रभावित फसलों में हुए नुक़सान की रिपोर्ट देने के आदेश होने के बावजूद प्रभावित क्षेत्रों में किसी भी कर्मचारी के नहीं पहुंचने से किसानों में निराशा है।
अवलोकित हो कि गुरुवार की शाम तेज हवाओं के साथ बारिश और ओलावृष्टि ने भारी तबाही मचाई। खेतों में ओलों की चादर बिछने से फसलें तबाह हो गई है। खेतों पर पहुंचे किसानों के मुख पर ओलावृष्टि से बर्बाद हुई फसल को देखते ही भविष्य की चिंता सताने लगी। भविष्य को लेकर चिंतित किसानों पर शुक्रवार की शाम को तेज हवाओं के साथ हुई बरसात ने कहर बरपाते हुए रही सही कसर पूरी कर दी है। गुरुवार को ओलावृष्टि से लगभग 30 से 40 प्रतिशत फैसलों के नुक़सान का अनुमान है तो वहीं शुक्रवार को बारिश के साथ आईं तेज हवाओं के कारण खेतों में खड़ी गन्ना, गेहूं, सरसों, आलू,चना, मटर आदि फसलों के गिरने से नुकसान 60 से 70 फीसदी पहुंच गया है। तेज़ हवा व बेमौसम बारिश की मार से सब्जियां उगाकर जीवन यापन करने वाले छोटे किसानों के परिवार भुखमरी के कगार पर आ गए हैं। महराजगंज तहसील क्षेत्र के जिहवा, बल्ला,पोखरनी,कैर मोन, सोथी, ज्यौना, चंदापुर,डोमापुर, जनई दौतरा आदि गांवों सहित सदर तहसील क्षेत्र के पहरावां, ओया, पहरेमऊ, असर्फाबाद, पिंडारी कला, बघैल, खैरहना, बहादुर नगर,रुकुनपुर,बैखरा,दुसौती आदि सैकड़ों गांवों में किसानों की हजारों हेक्टेयर खड़ी फसल बर्बाद हो गई। बेमौसम बरसात के साथ चलीं तेज हवाओं ने नुकसान और बढ़ा दिया है जिससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है। वहीं ओलावृष्टि प्रभावित क्षेत्रों के किसानों ने सरकार से फसलों के हुए नुकसान का मुआवजा दिलाने की मांग की है। महराजगंज उपजिलाधिकारी विनय सिंह ने बताया कि तहसील क्षेत्र में जनहानि व घरगिरी नहीं हुई है फसलों के नुक़सान का आंकलन कराया जा रहा है।
इंसेट-१
बहादुर नगर के किसान धीरज सिंह ने बताया कि रात दिन चौकीदारी करते हुए अन्ना जानवरों से फसल को बचाया था लेकिन ओलावृष्टि व तेज हवाओं के चलते छ बीघा गेहूं की फसल खेतों में पूरी तरह से गिर गई है। अबकी बार तो लागत निकालना भी मुश्किल हो जाएगा।
इंसेट-२
क्षेत्र के आम बगानों के बड़े किसानों में से एक इमामगंज के शफीर खां ने बताया कि पांच हेक्टेयर की आम की बाग में पेड़ों की निराई- गुड़ाई व दवा पर लगभग ढाई लाख रुपए तक खर्च हो गए ओलावृष्टि से पेड़ों में आये बौर टूटकर नीचे जमीन पर बिखर गए, पेड़ में बौर ही नहीं बचे तो फल कहां से लगेंगे। अबकी बार तो लागत भी निकलना मुश्किल है।
इंसेट-३
क्षेत्र के सब्जी के अग्रणी किसान पिंडारी कला निवासी तौफीक खां व बहादुर नगर के बिजय कुमार ने बताया कि 15 से 20 हजार खर्च कर एक से डेढ़ बीघा खेत में अगेती भिंडी व लतावर्गीय सब्जी की खेती की थी लेकिन ऐसी ओलावृष्टि हुई कि पौधों के साबुत डंठल ही नहीं बचे।
अनुज मौर्य/अशोक यादव रिपोर्ट