पुजारी की हत्या के मामले में उग्र भीड़ को मनाने में कामयाब रहा अफसरों का विनयावत अंदाज
रायबरेली। उन्मादी भीड़ कुछ भी कर गुजरने पर अमादा थी, शान्ति सुरक्षा कायम रखने के जिम्मेदार नुमाइन्दे हाथ बांधे खड़े थे। नेता राजनैतिक रोटियां सेंकने के प्रयास में भीड़ में आक्रोश की आग धधका रहे थे। सब कुछ अनियन्त्रित व अव्यवस्थित नजर आ रहा था। गहरे आघात की आशंकायें बढ़ती जा रही थी, लेकिन तभी किसी फरिश्ते की मानिन्द एक तेजवान आभामण्डल से लोगों को अपनी ओर आकृष्ट करती आवाज कानों गूंज गई। सभी उस व्यक्तित्व की ओर मुखातिब हुये तो पता चला कि आवाज लगाने वाली शख्सियत के रूप में रायबरेली के जिलाधिकारी संजय कुमार खत्री थे, जो आक्रोशित भीड़ से संयम बरतने की हाथ जोडक़र अपील कर रहे थे। डीएम के साथ कन्धे से कन्धा मिलाते हुये एसपी सुनील कुमार सिंह ने भी जन समुदाय से कानून व्यवस्था को बनाए रखने में मदद करने की गुजारिश की। यह माहौल ऊंचाहार थाना क्षेत्र में उस समय पेश आया जब इस क्षेत्र में एक मंदिर के पुजारी की हत्या कर शव को गेट पर लटका दिया था। सूचना पर मंदिर परिसर में एकत्र हुये सैकड़ों ग्रामीण पुजारी के हत्यारों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे। ग्रामीण पुजारी का शव पीएम के लिए ले जाने आयी पुलिस व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों से भिड़ गये और मरने-मारने पर अमादा हो गये, जिससे प्रशासन में हडक़म्प मच गया। अन्तत: डीएम संजय कुमार खत्री व पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार सिंह भी घटना स्थल पर पहुंच गए। डीएम ने एक सक्षम व समर्थ प्रशासनिक दक्षता का परिचय देते हुये न केवल पुजारी का शव ग्रामीणों के कब्जे से मुक्त कराया बल्कि भीषण माहौल को भी सामान्य बनाने में पूरे मनोयोग से कार्य किया। पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार सिंह ने भी अपनी कार्य कुशलता व कुशाग्रता का लोहा मनवाया। रायबरेली की अवाम से आ रही आवाज को तवज्जो दें तो पता चलता है कि डीएम और एसपी ने यदि उस दिन अपनी योग्यता व दक्षता का परिचय न दिया होता तो रायबरेली में 2019 की शुरुआत खूनी भी हो सकती थी। यहां चौंकाने वाली व निन्दनीय बात यही है कि जिन लोगों की राजनैतिक दुकानों में सियासत के ताले पड़े हैं वे ऐसे कुशल प्रशासक व सच्चे लोकसेवक को आरोपित करके उसे रुखशत कराने के कुत्सित प्रयासों में जुटे हैं।