अमेठी –श्रीमद्भागवत संगीतमयी कथा के दूसरे दिन कथा वाचक श्री राधेश्याम महराज ने श्रोताओं के समक्ष कथा का बर्णन करते हुए कहा कि परीक्षित जी महराज ने धर्म की सुरक्षा के लिए
यात्रा प्रारंभ की
समुख्य यजमान सुशीला विनय चंद के पैतृक गांव झाऊनेई में कथा के दूसरे दिन उपस्थित जनमानस को व्यास जी महराज ने अपने संबोधन में कहा कि
परीक्षित की यात्रा में सबसे पहले अधर्म मय कलयुग मिला जो धर्म के बिनास में लगा हुआ था
परीक्षित जी के द्वारा दंडित होने लगा तो चरणों में गिर पड़ा
परीक्षित जी ने उसे अपने पास रख लिया
पास नीचता करने लगा
उसी के प्रभाव से राजा परीक्षित ने महात्मा समिक का अपमान किया
कुसंग का प्रभाव बुरा पड़ा अतं में महराज जी कहते हैं मानव प्राणी को कुसंग से बचना चाहिए।
अवनीश कुमार मिश्रा रिपोर्ट