मोहर्रम की सातवी की रात निकला जुलूस,अजादारों ने मनाया ग़म,,

89

परशदेपुर (रायबरेली) शनिवार मुहर्रम की रात को हजरत इमाम हसन अलैहिस्सलाम के 13 वर्षीय बेटे हजरत कासिम अलैहिस्सलाम की शहादत का गम मनाया गया।जुलूस से पहले सुबह स्व हैदर तक़ी साहब और स्व मक़सूदूल हसन के यहां मजलिस हुई जहां मौलाना ने बताया कि कर्बला के मैदान में यज़ीद की फौज ने शहजादे कासिम को शहीद करके उनकी लाश को घोड़ों की टापों से पामाल (कुचल) दिया था। सातवीं मोहर्रम से ही यजीदयों ने हुसैनियों पर जुल्म ज्यादा बढ़ा दिये थे। भीषण गर्मी थी इसके बावजूद उन पर पानी बंद कर दिया गया। तीन दिन की भूख-प्यास की शिद्दत में परिवार और साथियों के साथ दी गयी कुर्बानियों को याद करके अजादार गम-ए-हुसैन में डूब गए। मौलाना से हजरत कासिम की शहादत का दर्दनाक मंजर सुन अज़ादार बेकरार हो उठे।

नम आंखों से अज़ादारों ने आंसुओं का पुरसा पेश किया। दिन में बड़े इमाम बाड़े और छोटे इमामबाड़े से जुलूस निकला जो स्व.वाहिद अली के घर के पास सम्मिलित होकर एक हो कर अपने ख़दीमी रास्तो से होता हुआ समाप्त हुआ। उसके बाद रात 9 बजे छोटे इमामबाड़े से हज़रत क़ासिम के मेहंदी का जुलूस निकाला गया। जुलूस में नसीराबाद से आई हुई अंजुमन ने नॉहाख्वानी करी और मातमदारो ने मातमकर ग़म मनाया।जुलूस में नसीराबाद से आये मशहूर नॉहाख्वान क़ासिम शब्बीर ने अपनी पुरकशिश आवाज़ में नौहे पढ़ा,इसके अलावा परशदेपुर के डॉ आमिर ने नौहे पढ़े। ताबूत का जुलूस बड़े इमामबाड़े से निकला गया।जुलूस में अजादारों ने या हुसैन या हुसैन की सदाओं के साथ मातम करके माहौल को ग़मगीन कर दिया।जुलूस अपने रास्तो से होता हुआ बड़े इमामबाड़े पहुँचा उसके बाद कज़ियांना होता हुआ छोटे इमामबाड़े में पहुच कर समाप्त हुआ।

प्रशासन रहा मौजूद


जुलूस में सुरक्षा की दृष्टि से प्रशासन पूरे टाइम मौजूद रहा।चौकी प्रभारी आशीष तिवारी, रघुनाथ सिंह,सुखराम करन चौरासिया के साथ साथ काफी पुलिस जवान मौजूद रहे।

एडवोकेट अशोक यादव रिपोर्ट

Previous articleयुवा लेखक अभय सिंह के पुस्तक “द माइंड” किताब के विमोचन का कार्यक्रम हुआ संपन्न
Next articleछत पर युवक का संदिग्ध परिस्थितियों में शव मिलने से मचा हड़कंप