शिवगढ़(रायबरेली)। गुरु की शरण में जाने बाद ही व्यक्ति को सत्य का रास्ता मिलता है यह उद्गार बहुदा चौराहे पर चल रही भागवत कथा में खैरा वीरू जिला बाराबंकी के आचार्य सर्वेश कृष्ण शास्त्री जी अपनी वाणी से अमृतयी वर्षा करते समय व्यक्त कर रहे थे।आचार्य सर्वेश कृष्ण शास्त्री ने कहा कि इस संसार में विष्णु अवतार भगवान श्री राम ने भी गुरु की महत्ता को सभी के समक्ष रखा है गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस ग्रंथ में लिखा है कि प्रात काल उठि के रघुनाथा मात पिता गुरु नावहिं माथा। हमें बचपन में पुस्तकों में भी पढ़ाया गया है किसी विद्वान व्यक्ति ने भी कहा कि “गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागूं पाय बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय।” ईश्वर से भी ऊंचा स्थान है गुरु का, समाज में कुछ अराजक तत्वों ने इसे चंद पैसे के लिए अपमानित करने का प्रयास किया है किंतु व्यभिचारी दुराचारी लोगों के आने से पूरी संस्था अथवा पूरा समाज दूषित नहीं होता।अच्छे लोगों की पहचान समाज में हो जाती है धुंधकारी की कथा सुनाते हुए कहा कि गोकर्ण और धुंधकारी दोनों ही परस्पर भ्रातत्व भाव से बंधे थे किंतु धुंधकारी के दोष कर्मों ने उसे प्रेत योनि दिया और गोकर्ण जैसे समदर्शी व्यक्तित्व ने भागवत कथा के पुण्य श्रवण से उसे स्वर्ग का रास्ता दिया।इसलिए अपने सच्चरित्र का ध्यान रखते हुए व्यक्ति को सदैव कार्य करना चाहिए इस अवसर पर सार्वजनिक भागवत कथा कार्यक्रम के आयोजक इन्द्रजीत राजपूत, राजकुमार, ओमप्रकाश, बिन्धापप्रसाद, संतराम, सुरेश कुमार, अजय कुमार, बजरंग, राजदेव, संतपप्रसाद, रामसहाय,प्रेमचन्द्र,अरविंद सभी ग्रामवासी मौजूद रहे।