रायबरेली। सदर तहसील प्रशासन द्वारा हटाए गए कब्जे के विरोध में दर्जनों ग्रामीणों ने जिलाधिकारी को शिकायती पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई है। ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम सभा की जिस बंजर भूमि को सरकारी बता कर एसडीएम सदर और उनकी टीम ने ग्रामीणों को वहां से हटाया है, वह अब आबादी के रूप में विकसित हो गई है। ग्रामीणों ने बताया कि जमीन पर 70 वर्ष पुराने मकान व झोपड़ियां बनी हैं जिनमें रहकर गरीब परिवार अपने जीवन का निर्वाह कर रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि 50 वर्ष पहले सुरेंद्र प्रधान ने आवास हेतु जमीन आवंटित की थी और प्रमाणित रसीद भी दी थी। इसके बावजूद तहसील प्रशासन ने मकानों को गिराया और रहने वाले गरीबों का अनाज बर्तन कपड़े आदि बर्बाद कर दिए गौरतलब है कि सदर तहसील क्षेत्र के ग्राम सभा में पूर्व में तहसील प्रशासन की टीम ने अवैध जमीन से कब्जा हटाया था जिसके विरोध में ग्रामीण जिलाधिकारी के पास प्रार्थना पत्र लेकर पहुंचे। ग्रामीणों का कहना है कि उपजिलाधिकारी सदर, लेखपाल आशीष कौशल और प्रधान अमरपाल ने जबरन मकानों से बेदखल किया है और निर्माण गिरा दिया जिसके कारण ग्रामीण कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। ग्रामीणों ने तहसील प्रशासन राजनैतिक भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि जिनके मकान नहीं गिराए गए वह लोग राजनीति पहुंच रखते हैं। ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से तथ्यों की जांच करा कर लोगों को आवास हेतु जमीन उपलब्ध कराने की गुहार लगाई है। इस दौरान अमृतलाल, दशरथ पाल, रमाकांत, हीरालाल, रामाश्रय, विश्वनाथ, सुरेश, राम कुमार, जगत, शीतला, बिंदेश, रतिपाल सहित दर्जनों की संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।