रायबरेली। आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी राष्ट्रीय स्मारक समिति के सदस्यों ने निदेशक डाक सेवाएं एवम् वरिष्ठ साहित्यकार कृष्ण कुमार यादव को सोमवार को आचार्य पथ वार्षिकी एवम् निफ्ट रायबरेली द्वारा पुनर प्रकाशित विज्ञान वार्ता पुस्तक भेंट की। बतातें चलें कि कृष्ण कुमार यादव वरिष्ठ साहित्यकार एवम् डाक विभाग के निदेशक भी हैं। करुणा शंकर मिश्रा ने कहा कि आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी को हिंदी का निर्माता कहा जाए या पुरोधा गद्य का विधायक खड़ी बोली का उन्नायक अथवा द्विवेदी युग का प्रणेता बात इतनी है कि पूरी नहीं होती। दरअसल उनका व्यक्तित्व है ही इतना बहुआयामी साथ ही उबड़-खाबड़ कि इतने सारे विशेषणों में भी पूरा-पूरा समाने से मना कर देता है और कुछ न कुछ छूट जाने का अहसास दिलाने लगता है। कारण यह है कि वे ऐसे कठिन समय में हिंदी के सेवक बने जब हिंदी अपने कलात्मक विकास की तो क्या सोचती नाना प्रकार के अभावों से ऐसी बुरी तरह पीड़ित थी कि उसके लिए उनसे निपट पाना ही दूभर हो रहा था। ऐसे दुर्दिनों में आचार्य द्विवेदी ने नींव की ईंट बनकर ज्ञान के विविध क्षेत्रों जैसे इतिहास अर्थशास्त्र विज्ञान पुरातत्व चिकित्सा राजनीति व जीवनी आदि से संबंधित साहित्य के सृजन प्रणयन व अनुवादों की मार्फत न सिर्फ हिंदी के अभावों को दूर किया बल्कि अराजक गद्य को मांजने-संवारने पुष्ट-परिष्कृत व परिमार्जित करने का लक्ष्य निर्धारित कर उसकी पूर्ति में अपना समूचा जीवन लगा दिया। इस दौरान शंकर, कृष्ण कुमार सिंह राठौर करुणा शंकर मिश्रा अमित सिंह नीलेश मिश्रा आदि उपस्थित रहे।
अनुज मौर्य रिपोर्ट