परशदेपुर (रायबरेली)- इमाम हुसैन की याद में शिया समुदाय ने अक़ीदत के साथ चेहल्लुम का जुलूस निकाला जिसमे छोटे छोटे बच्चों सहित अज़ादारो ने शिरकत करी।बताते चले कि रविवार को सुबह 9 बजे मरहूम रज़ा प्रधान के घर पर मजलिस हुई।मजलिस के बाद जुलूस निकाला गया।मजलिस को डॉ इतरत नक़वी न उन्होने अपनी खिताबत में कहा कि शहीदे आजम इमाम हुसैन और अहले हरम की कुर्बानियों की याद में इमाम हुसैन ने भूखे प्यासे रह कर और कुर्बानी देकर दीने इस्लाम को ज़िंदा रखा।
उन्होंने इमाम हुसैन की अज़ीम शख्सियत के बारे में बताया कि कर्बला में जुल्म की इंतेहा होते हुए भी इमाम हुसैन ने यजीद के सामने अपना सर नहीं झुकाया और इस्लाम को बचाने के लिए अपनी और अपने साथ बहत्तर साथियों की शहादत दे दी।मजलिस के बाद जुलूस बरामद हुआ जो छोटे इमामबाड़े से होता हुआ बड़े इमामबाड़े, अंसारी मोहल्ला,अंसार चौक से होते हुए दुधिया कर्बला पहुचा जहां पर ताज़िया को दफना दिया गया।जुलूस में नौहाख़्वानी कबीर हादी ने किया।जुलूस के बाद मजलिस हुई जिसको अली अब्बास ने पढ़ी।जुलूस में,अंजुमन के सेक्रेटरी इतरत नक़वी,आरिफ नक़वी,शम्सी रिज़वी,अंजुम रिज़वी, आसिफ मेहदी,बाबर हादी,ज़की नक़वी,सारिम रिज़वी,तालिब,मीसम,शुजा,लारेब, तौरेत सहित तमाम अजादार मौजूद रहे।
*किस दिन मनाया जाता है चेहल्लुम* बताते चले कि मैदाने कर्बला में शहीद हुए इमाम हुसैन व उनके 71 साथियों की शहादत के चालिस दिन बाद चेहल्लुम मनाया जाता है।इमाम हुसैन मोहर्रम की 10 तारीक़ को शहीद हुए थे। यही नहीं कर्बला के शहीदों का चेहल्लुम मनाने के लिए पूरी दुनिया से करोड़ों अकीदतमन कर्बला(इराक़)जाते हैं और फिर अकीदत पेश करते हैं।आपको बता दें कि चेहल्लुम के मौके पर कर्बला(इराक़) में एक समय में एक जगह इतना बड़ा जनसमुदाय इकट्ठा होने का विश्व रिकॉर्ड भी है।
शांति विव्वस्था के लिए मुस्तैद रही ख़ाकी
जुलूस में शांति विव्वस्था बनाए रखने के उद्देश्य से चौकी प्रभारी बृजपल सिंह,डीह थाने के उपनिरिक्षक अनिल शर्मा,हेड कांस्टेबल अतर सिंह,बफाती हुसैन के साथ लगभग दर्जन भर सिपाहियों के साथ मुस्तैदी से जुलूस के साथ साथ मौजूद थे।
शम्शी रिजवी रिपोर्ट