महराजगंज (रायबरेली)। मानकों को दर किनार कर शिक्षक ठेकेदारों द्वारा बनाये गये विद्यालयों की धीरे धीरे पोल खुल रही है। सात वर्ष पूर्व ही बना प्राथमिक विद्यालय गंगागंज मजरे राघवपुर अपनी ही दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। बाउण्ड्रीवाल से लेकर कमरे की फर्श व दीवालें भ्रष्टाचार की कहानी चिल्ला चिल्ला कर बयां कर रही हैं लेकिन विभागीय अधिकारियों की खाऊ कमाऊ नीति के चलते इन शिक्षक ठेकेदारों पर कार्यवाही करना तो दूर की बात विद्यालय का जीर्णोद्धार कराना भी उचित नही समझा जा रहा। विभागीय अधिकारी शायद किसी बड़ी अनहोनी के इंतजार में बैठे है।
बताते चलें कि वर्ष 2012 में प्राथमिक विद्यालय गंगागंज का निर्माण शिक्षक ठेकेदार सुरेश शर्मा द्वारा कराया गया था। मात्र कुछ वर्षो में ही विद्यालय की दशा पूरे 100 वर्ष पुराने खण्डहर जैसी हो गयी है। जिसकी दीवालें स्वतः ही भ्रष्टाचार की कहानी बयां कर रही है। इसी जर्जर भवन में क्षेत्र के 50 नौनिहाल अपनी जान जोखिम में डाल कर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। विद्यालय की इस दुर्दशा पर आज तक किसी अधिकारी की नजर नही पड़ी है। ग्रामीणों की मानें तो कई बार उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है लेकिन आज तक भवन के सुधार के लिए किसी अधिकारी ने पहल नही की। विद्यालय में तैनात प्रधानाध्यापक उपेन्द्र सिंह से बात की गयी तो उन्होने बताया कि इस सत्र में 20 हजार रूपये जीर्णोद्धार कराने के लिए आया है अब 20 हजार रूपये में बाउण्ड्री वाल सही की जाय या उस पर गेट लगाया जाय। विद्यालय मंे बने एक भी शौचालय प्रयोग हेतु नही हैं कमरों के दरवाजे टूटे, फर्श उधड़ी व दीवाले जर्जर हैं। विद्यालय में बना रसोईघर भी जीर्णशीर्ण हो चुका है। आलम यह है कि खाना बनाते समय छत से प्लास्टर तक खाने में गिर जाता है जिससे बच्चों की सेहत पर क्या असर पड़ेगा सहज अन्दाजा लगाया जा सकता है।
अनुज मौर्य/अशोक यादव रिपोर्ट