- आम लोगों को भड़का और धमका कर सुरक्षा बलों के विरुद्ध खड़े होने को विवश कर रहे हैं नक्सली
- बीजापुर में मारे गए नक्सलियों का बदला लेने के रूप में दिया घटना को अंजाम
सुकमा (छत्तीसगढ़)। बीती सात फरवरी को छत्तीसगढ के बीजापुर में अपने दस साथियों के मार गिराये जाने से बौखलाये माओवादियों ने सुकमा में राष्ट्रीय राजमार्ग 30 पर स्थित पेदाकुरती के पास सड़क निर्माण करा रहे एक ठेकेदार के तीन वाहन गुरुवार को जला दिये। घटना स्थल के आसपास लगे पोस्टर इस बात के गवाह हैं कि नक्सली आम लोगों को भड़का और धमका कर सुरक्षा बलों के विरुद्ध खड़े होने को विवश कर रहे हैं। इस घटना में किसी के मारे जाने की खबर नहीं है। माओवादियों ने जिस समय इस वारदात को अंजाम दिया, उस समय ठेकेदार घटना स्थल से थोड़ी दूर था। नक्सलियों के बदले की आग में खाक हुए सभी वाहन बहुचर्चित ठेकेदार अमर के बताए जा रहे हैं। जो वाहन जले हैं उनमें एक टिप्पर, एक एक्जास मशीन व ठेकेदार की एक्सयूवी शामिल हैं। करीब दो दर्जन हथियारबंद नक्सलियों ने घटना को अंजाम दिया। घटना के बाद आसपास के इलाके में सन्नाटा और खौफ पसरा है। सुरक्षा बलों ने इलाके की नाके बन्दी करके सर्च आपरेशन शुरू कर दिया है। घटनास्थल की ओर सर्चिंग के लिए कोंटा से निकले टीआई शरद सिंह व उनकी पार्टी पर इंजरम व फन्दीगुड़ा के बीच नक्सलियों ने फायरिंग भी की है। जवानों की जवाबी कार्रवाई के बाद नक्सली चले गए।
जानकारी के अनुसार गुरुवार की देर शाम करीब 6.30 बजे दोरनापाल थाना क्षेत्र के ग्राम पेदाकुर्ती स्थित सीआरपीएफ कैम्प से एक किमी दूर सशस्त्र नक्सलियों ने तीन वाहनों को आग के हवाले कर दिया। तीनों वाहन उस इलाके में काम कर रहे अमर नाम के ठेकेदार के हैं। बताया जा रहा है कि करीब 25-30 हथियारबंद नक्सली एनएच- 30 पर आ धमके और काम कर वापस कैम्प लौट रहे पानी टैंकर, एक्जास मशीन और ठेकेदार के वाहन को पहले रोका, फिर तीनों वाहनों के चालक व परिचालकों केे मोबाइल छीन लिए। इसके बाद वाहनों के डीजल टैंक फोड़कर आग लगा दी। धीरे-धीरे तीनों वाहन जलकर खाक हो गए। सभी कर्मचारी सुरक्षति दोरनापाल थाना पहुंच गए। उस वक्त ठेकेदार भी मौजूद था लेकिन वह पेदाकुर्ती कैम्प में ही था जहां प्लांट लगाया हुआ है। एनएच 30 पर सर्चिंग के लिए कोंटा से निकली टीम का सामना भी नक्सलियों के साथ हुआ। फन्दीगुड़ा के पास भी नक्सली गाड़ी में आगजनी करने की तैयारी में थे। इसी बीच टीआई व उनकी पार्टी वहां पहुंच गई। करीब 10 मिनट दोनों ओर से फायरिंग चली। उसके बाद नक्सली चले गए। उल्लेखनीय है कि सुकमा में नक्सली हिंसा की अनेक बड़ी वारदातें इसी घटना स्थल के इर्द-गिर्द हुई हैं।यह वही इलाका है जहां सुरक्षा बलों ने सबसे ज्यादा नुकसान उठाया है, और आगजनी की घटनायें भी ज्यादा हुयी हैं। साल 2010 में जब पास के ही ताड़मेटला में सीआरपीएफ के सबसे ज्यादा जवानों की मौत हुई थी तब से लेकर आज तक जवाबी कार्रवाई में सुरक्षा बलों को नक्सलियों के खिलाफ कोई बड़ी कामयाबी नहीं मिली, परिणाम यह है कि माओवादियों के छापामार दस्ते अब भी सक्रिय हैं और इस इलाके में अपना दबदबा बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं।
(सुकमा प्रवास के दौरान अनुज अवस्थी की रिपोर्ट )