वाह सरकारी खेल तन्त्र, अमीरो को पीएम आवास और गरीबो को एक छोटी सी छत तक नही

21

गरीब को नहीं मिला प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ

डलमऊ रायबरेली – प्रदेश सरकार भले ही गरीबों को पीएम आवास दिला कर लाभवांतित करने का दावा कर रही है, लेकिन अभी भी बहुत से गरीब परिवार इस योजना से वंचित हैं , बरसात के महीने में पुराने मकानों में रहने को मजबूर हैं, बारिश से बचने के लिए इन परिवारों को पॉलीथिन या दूसरे के छत का सहारा लेना पड़ रहा है एक तरफ केंद्र सरकार झोपड़पट्टी या कच्चे मकानों को आवास देने की बात कर रही है ,तो वही प्रधानमंत्री आवास के असल हकदार मिट्टी के मकान में व झोपड़ी मे रहने के लिए मजबूर हैं, सिस्टम का दंश झेल रहे डलमऊ विकासखंड के ग्राम सराय दिलावर निवासी रीता पत्नी सचिन भी आवास से वंचितो में से एक हैं , पति सचिन के पास जमीन भी नहीं है ,वह आज भी झोपड़ी बनाकर जीवन यापन कर रहा है, छत के नाम पर कुछ भी नहीं है, और थोड़ी सी बारिश के बाद झोपड़ी में चारों ओर पानी टपकने लगता है ,इस दौरान घर में खाने पीने वह अन्य रखा हुआ सामान भी भीग जाता है , रीता ने बताया कि वह बेहद गरीब है निकलने के लिए भी कोई समुचित रास्ता नहीं है, रास्ता खाली होने के कारण जलभराव हो जाता है, जमीन ना होने के कारण पति मजदूरी कर जैसे- तैसे परिवार के पेट का भरण पोषण कर रहे हैं, जिस पीएम आवास योजना के जरिए हर गरीब को छत मुहैया कराने का दावा किया गया था वही योजना रास्ते से भटके नजर आ रही है ,यूं कहें कि अपने फायदे के लिए लोगों ने इसे रास्ते से भटका दिया है ,लाभार्थी अभी भी उम्मीद भरी निगाहों से देखे जा रहे हैं, कि कभी तो किसी की नजर उन पर पड़ेगी कभी तो उनके सिर पर छत आएगी जबकि प्रधानमंत्री उज्जवला से लेकर स्वच्छ भारत मिशन के तहत मिलने वाले शौचालय तक भी ग्राम पंचायत सराय दिलावर के गरीबों को मौवसर नहीं है ,भले ही सरकारे योजनाएं लाकर अपनी पीठ थप -थपाते रहते हैं, पर इन योजनाओं से कोई करिश्माई बदलाव नहीं होने वाला है, आजादी के बाद से अब तक यह योजनाएं कोई खास करिश्मा नहीं दिखा सके , इसके पीछे लचर प्रशासनिक व्यवस्था को जिम्मेदार माना जा सकता है, क्योंकि जब तक इन योजनाओं का शत प्रतिशत लाभ जरूरतमंदों तक नहीं पहुंचेगा तब तक स्थिति जस की तस बनी रहेगी ग्राम पंचायतों में आज भी ऐसे परिवार रहते हैं , जो कि खुले आसमान के नीचे जिंदगी गुजार रहे हैं या फिर छप्पर – पन्नी की छत बनाकर गुजर-बसर कर रहे हैं , पेड़ के नीचे झोपड़ी बनाकर रहने वाली रीता बताती हैं, कि पिछले 7 साल से वह इसी झोपड़ी में रह रहे हैं, प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए कई बार प्रधान – सचिव से गुहार लगा चुके हैं ,पर अभी तक किसी भी योजना का लाभ उनको मौवसर नहीं हुआ , ना शौचालय मिला ना उज्जवला गैस कनेक्शन , और ना ही पीएम आवास योजना का लाभ हां, यह दीगर बात है , कि लाभ के बदले उन्हें अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिलता आ रहा है , ऐसे में तेज बारिश के दौरान झोपड़ी में पानी भर जाता है ,और उनकी पूरी गृहस्ती पानी – पानी हो जाती है ऐसे परिवारों को वास्तव में प्रधानमंत्री आवास योजना की सख्त जरूरत है ,पर जनप्रतिनिधियों की उदासीनता व अधिकारियों की अनदेखी के चलते इन जरूरतमंद परिवारों को शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है , जिन्हें बारिश के मौसम में खुले आसमान के नीचे टूटी फूटी कच्ची झोपड़ियों में रात गुजारनी पड़ती है, हैरान करने वाली बात यह है , कि प्रधान को इस बात की जानकारी भी है पर नियमों का हवाला देकर जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लेते हैं , रीता देवी का कहना है, इसके पहले प्रधान से कई बार आवास की मांग की है , लेकिन आज तक आवास नहीं मिला पति सचिन का कहना है ,कि गांव में पात्रों का सर्वे हुआ था जिसमें नाम भेजा गया था उसका पात्रता सूची में नाम भी है ,इसके बाद भी उसे आवास का लाभ नहीं मिला है, बिना आवास सचिन को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है ,पीड़ित ने जिलाधिकारी से आवास दिलाए जाने की मांग की है !

अनुज मौर्य/विमल मौर्य रिपोर्ट

Previous articleग्रामीणो ने महराजगंज तहसील प्रशासन पर क्या लगाया आरोप
Next articleइस साल भी बेटियो ने मारी बाज़ी