इस परिवार का ऐसा दर्द जिसने भी देखा छलक पड़े उसके आंखों में आँसू

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रायबरेली

विधना ने जिसको जन्म से ही अन्याय करके धरती पर भेजा।वह अभागा प्रमोद किसी तरह रंगाई-पुताई का कार्य करके घर का गुजर-बसर पत्नी के साथ कर रहा था। ईश्वर ने उसे औलादो से भी उसे महरूम रखा। जी हां सिर्फ एक ही किडनी का दर्द कोई नहीं समझ सकता।तब भी इस दर्द को छुपा कर प्रमोद मौर्य निवासी सदर कोतवाली चक अहमदपुर नजूल दिहाड़ी मजदूरी का कार्य करके किसी तरह से पेट पाल रहा था । तभी एक दिन वह मजदूरी पर निकला और पुताई करते वक्त बिल्डिंग से गिर पड़ा जिससे उसके कमर सहित कई जगह गंभीर चोटे आई । किसी प्रकार दवाई करवाई गई। परंतु कुदरत ने फिर उसके साथ अन्याय किया और उसकी दूसरी किडनी भी इस दौरान संक्रमित हो गई। अब वह पूरी तरह डायलिसिस पर निर्भर हो गया। ईश्वर को अब भी कुछ और ही मंजूर हुआ।देश मे कोरोना महामारी कोविड19 काल प्रारंभ हो गया और वह दाने-दाने को मोहताज हो गया।जब कंचन टुडे और रिपोर्ट टुडे समाचार को इसकी जानकारी हुई तो प्रमोद को मदद का भरोसा दिलाया। और इसी क्रम में दो ऐसी सामाजिक सेवा संगठनों ने इसका सहयोग किया जिससे इसके यहां दो वक्त की रोटी तो पकी।लेकिन अगले आने वाले दिनों का कोई भरोसा नहीं रहा।जी हां मानव सेवा संगठन और आजाद सेवा संगठन ने करोना काल में संकट हरण की भूमिका निभाई ।वही रायबरेली जनपद के जाने-माने डॉक्टर रमेश श्रीवास्तव ने भी इसकी दवा ईलाज की निशुल्क व्यवस्था की । जो भी डाक्टर साहब द्वारा बन सका। ईलाज करने का बीड़ा उठाया। लेकिन समस्याओं ने इसका पीछा नहीं छोड़ा किराए के मकान में रहना और दो वक्त की रोटी के लिए कमाने ना जा सकने की हीनता ने इसके मन को झकझोर कर रख दिया। आदरणीय जिलाअधिकारी शुभ्रा सक्सेना जी के निर्देशानुसार कोई भी मकान मालिक इस काल में तो किराया वसूलने की जबरदस्ती नहीं कर सकता। लेकिन समस्या तब और जटिल हो जाएगी जब यह आज नहीं कभी भी किराया देने की स्थिति में नहीं पहुंच पाएगा । तब आखिर मकान मालिक ही कितने दिनों तक इसे बिना किराए के मकान में रहने देगे।
प्रमोद की पत्नी ने जिला प्रशासन से आशा बना रखी है कि वह उसके इस गरीबी और बुरे दिनों में अपनी एक कोठरी छत की व्यवस्था और 2 जून की रोटी की व्यवस्था तो बना ही दे। प्रमोद ने बताया कभी-कभी दिल इतना भर आता है कि लगता है पति पत्नी आत्महत्या ही कर ले। यह कहते हुए प्रमोद के आंखों मे आँसू भर आए गला रूंध गया। और वह एकटक आसमान की ओर निहारता रहा। प्रमोद जन्म से ही बहुत ही मजबूत इरादों वाला व्यक्ति था । उसने कभी किसी को एहसास नहीं होने दिया कि उसकी एक ही किडनी है। वह अपने शरीर को संपूर्ण मानता रहा और उसी हिसाब से मेहनत करता रहा । लेकिन कुदरत ने लगातार उसके साथ अन्याय किया और इस समय वह चारपाई पर अपने बुरे दिन गुजार रहा है। और भविष्य की चिंता से ग्रस्त है।अब देखना यह है कि जिला अधिकारी महोदय उसकी इस समस्या से किस प्रकार से निजात दिलाती हैं जिससे उसके आगे का जीवन भी किसी तरह गुजर बसर हो सके।

अनुज मौर्य/मनीष श्रीवास्तव रिपोर्ट

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