एसजेएस पब्लिक स्कूल ने बनाई बच्चो के लिए 5000 से ज्यादा प्रायोगिक प्रशिक्षण करने वाली लैब

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रायबरेली। एसजेएस पब्लिक स्कूल में स्पेस वाक प्रयोगशाला की स्थापना के अवसर पर आयोजित प्रेसवार्ता में एसजेएस पब्लिक स्कूल समूह के चेयरमैन रमेश बहादुर सिंह ने बताया कि एसजेएस स्कूल रायबरेली द्वारा बच्चों को पाठयक्रम रटने के स्थान पर समझने की क्षमता विकसित करने और उसका प्रायोगिक लाभ उठाने की दृष्टि से एक आधुनिक विज्ञान प्रयोगशाला स्पेस लैब के नाम से स्थापित की गई । अपने संबोधन में उन्होंने प्रयोगशाला की उपयोगिता पर चर्चा करते हुए कहा कि प्रत्येक बच्चे को जन्म से ही चांद देखकर उसे पाने की ललक रहती है इसी को आधार बिंदु बनाकर लैब की परिकल्पना ‘चलो चांद की ओर’ की विषय वस्तु को रखा गया है। लैब में बच्चों स्थानीय अशिक्षित कामदारों शिक्षिकों द्वारा बनाए गए उपकरणों के साथ-साथ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के उपकरणों की व्यवस्था की गई है । जिनके आधार पर 5000 से ज्यादा प्रायोगिक प्रशिक्षण कक्षा 1 से बारहवीं तक के बच्चों को मात्र दिखाये ही नहीं पढ़ाई व समझाये भी जाएंगे ।विद्यालय के दृण इच्छा है कि आगे 10 वर्षों में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नहीं सैकड़ों वैज्ञानिक रायबरेली की जमीन से बनाए जाएं। उन्होंने कहा कि बच्चे देश का भविष्य होते हैं इस को चरितार्थ करते हुए एसजेएस ने अपनी कल्पना द्वारा बच्चों का शरीर भविष्य तय करने व आने वाली समस्याओं के निराकरण की दिशा में अत्यंत उपयोगी मॉडलों द्वारा बच्चों की हर जिज्ञासा शांत करने का बेहतरीन उपाय किया है। विद्यालय चेयरमैन ने बताया कि इस पहल से विज्ञान की विशेषता को गहराई से जानने व परखने की क्षमता रखने वाले इस प्रयोगशाला के शिल्पकार व विज्ञान के शिक्षक निहाल सिंह ने इस प्रयोगशाला की कल्पना को साकार रूप देते हुए अपनी मेहनत व पक्के इरादों के बल पर विज्ञान के सभी शाखाओं जैव विविधता प्रकृति विषय को सुनिश्चित रखने के उपायों के बारे में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के माध्यमों द्वारा स्पेशल की संरचना की गई । जिसमें बुलेट ट्रेन मॉडल डांसिंग गर्ल क्वाइन स्पाइनर थंडर प्रोडक्शन विद्युतीकरण गांव का मंगल ग्रह समुद्र डायनासोर प्रदूषण और ज्योतिषी द्वारा प्रदूषण इस बातों का नियंत्रण प्राकृतिक संतुलन घर पृथ्वी और वायुमंडल की सुरक्षा ,इस्पात उत्पादन आदि महत्वपूर्ण विषयों पर बेहतरीन कल्पना के वास्तविक मॉडलों द्वारा बच्चों के वैज्ञानिक समाज की परिकल्पना की गई है।

अनुज मौर्य रिपोर्ट

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