सरेनी (रायबरेली)। मौजूदा सरकार द्वारा गोवंश के प्रति रक्षा की प्रतिबद्धता जहां किसानों के लिए विनाशकारी साबित हो रही है, वहीं आम जनता द्वारा छोड़े गए आवारा जानवर खुद में भी कम परेशान नजर नहीं आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आवारा पशुओं में जैसे गायों की सुरक्षा को लेकर नया फरमान जारी कर सभी जिलों के जिलाधिकारियों को आदेश दिया है कि वो आवारा गायों के मालिकों की पहचान करके उनके खिलाफ कार्यवाही करें। साथ ही साथ आवारा गायों को 10 जनवरी तक गोशाला पहुंचाएं। सीएम योगी ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति गोशाला में गायों को छुड़ाने आता है तो उससे जुर्माना वसूला जाए। मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि गोशाला में गायों को चारा, पानी और सुरक्षा भी मुहैया करायी जाए। लेकिन अभी तक धरातल पर ऐसा कुछ होता नहीं दिख रहा है। सीएम योगी की डेडलाइन तो खत्म हो चुकी है परंतु किसानों को आवारा पशुओं के आतंक से निजात अभी तक नहीं मिल पायी है।आखिर क्या कारण है कि सीएम की डेडलाइन के बाद भी किसानों को आवारा गायों से निजात नहीं मिल पायी है? डेडलाइन को सीएम की जल्दबाजी कहें या अधिकारियों की सुस्त कार्यशैली या फिर लापरवाही। सीएम योगी की डेडलाइन को खत्म हुए लगभग डेढ़ सप्ताह होने को है लेकिन अभी तक उनके आदेश का पालन नहीं हुआ है जो कि चिंतनीय है। रायबरेली में सीएम योगी के आदेश का कितना पालन हुआ है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि किसान चौबीसों घंटे आवारा पशुओं के आतंक से अपने खेतों की रखवाली करने के लिए मजबूर है। सड़कों पर आवारा पशुओं का आतंक इतना अधिक व्याप्त है कि लोग सड़कों पर चलना मुनासिब नहीं समझते हैं और वह मजबूरीवश सडकों पर डरते हुए यात्रा करते हैं। सरेनी थाना क्षेत्र के अंतर्गत सभी किसान व आमनागरिक आवारा पशुओं से इतना अधिक आतंकित हैं कि वह सारा समय अपने दैनिक कार्यों का परित्याग करते हुए खेतों में अपनी फसल की रखवाली किया करते हैं। यदि किसान थोड़े भी समय के लिए किसी कार्यवश अपने घर आ जाते हैं तो आवारा पशुओं द्वारा उनकी हरी-भरी फसल को बुरी तरह तहस नहस कर दिया जाता है।इन आवारा मवेशियों की अधिकता हो जाने से गरीब किसानों के सामने गंभीर समस्या पैदा हो गयी है। परिणामस्वरूप आए दिन दुर्घटनाओं में यह भी मारे जा रहे हैं और मानवीय जान माल की भी हानि हो रही है।
अनुज मौर्य/सन्दीप फ़िज़ा रिपोर्ट