कृष्ण की बाल लीलाएं सुन भाव विभोर हुए भक्त

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महराजगंज रायबरेली ।परमपिता परमात्मा का आहार अहंकार है और वह अपनी किसी भक्त के अहंकार को रहने नहीं देते भक्तों के कल्याण के लिए वह असंभव को भी संभव बना देने में नहीं चूकते यही कारण है कि जब देवराज इंद्र को अभिमान हुआ कि गोकुल वासी उनके रहमों करम पर जीवित रहते हैं तबउन्होंने इंद्र की पूजा बंद करवा कर गोवर्धन की पूजा करवाना प्रारंभ किया और इंद्र का मान मर्दन कर डाला भक्तवत्सल भगवान केवल अपने भक्तों के प्रति दयालु रहते हैं और उनके प्रत्येक कष्ट को स्वयं का कष्ट मानकर निवारण करते है यह उद्गार है भगवत कथा वाचक श्री वेद प्रकाश दीक्षित जी महाराज के जो उन्होंने बावन बुजुर्ग बल्ला के मजरे पूरे तिवारी मे भगवत कथा वाचन के दौरानव्यक्त किए श्री दीक्षित द्वारा भगवत कथा के प्रथम दिन श्री कृष्ण जन्म नाम करण संस्कार तथा पूतना वध का विस्तृत वर्णन किया गया ग्वाल बालों की टोली साथ लेकर गोपी का ओकि यहां माखन चोरी की मोहक कथा सुनकर श्रोता भक्ति रस की गंगा में बहने लगे ।

अशोक यादव रिपोर्ट

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