महराजगंज (रायबरेली)। क्षेत्र मे चल रहे डग्गामार वाहन लोगों के जी का जंजाल बने है। इन डग्गामार वाहनों में जहां सवारियां भूसे की तरह ठूंसी जा रही वही इन वाहनो के संचालन व परमिट के लिए बने नियम कानून कागजो तक सीमित हैं। मालूम हो की इन वाहन चालकों में पुलिस व प्रशासन का कोई खौफ नहीं है। क्षेत्र की सड़कों पर चल रहे इन डग्गामार वाहनों पर नियंत्रण नहीं होने के चलते यह डग्गामार वाहन आये दिन हादसों का सबब साबित हो रहे । चूंकि क्षेत्र में परिवहन संसाधनों का पहले से ही भारी अभाव रहा है इसलिए लोग मजबूरी में अपनी जान जोखिम में डालकर इन वाहनों से यात्रा करने को मजबूर हैं।
बता दें कि क्षेत्र के अधिकांश इलाकों में रोडवेज बसों की कमी के चलते क्षेत्र में डग्गामार वाहनों की भरमार है यहां के मुख्य मार्गों से लेकर संपर्क मार्गो पर रोडवेज बसों की संख्या न के बराबर है। जिसके कारण लोग डग्गामार वाहनों में सफर करने को मजबूर हैं। इन डग्गामर वाहनों के चालक सवारियों को ठूंस-ठूंस कर भूसे की तरह भरते हैं। इसके अलावा ताज्जुब की बात यह है कि इन डग्गामार वाहनों की चालक सीट पर तीन-तीन सवारियों को बैठे हुए दिखाई पड़ना आम बात है। यही नहीं वाहनों की छतों और पायदानों पर भी अक्सर लोग सफर करते हैं। जो कि सीधे-सीधे सड़क दुर्घटनाओं को दावत दे रहे हैं। महराजगंज कस्बे से रायबरेली, बछरावां, हैदरगढ़, इन्हौना, शिवगढ़, हरचन्दपुर, पहरेमऊ व चन्दापुर मार्ग पर चलने वाले इन डग्गामार वाहनों में कई वाहनों की न फिटनेस है और न ही चालकों के पास ड्राइविंग लाइसेंस और न ही बीमा, इनमें से अधिकतर वाहन बिना हेडलाइट के हैं या फिर दोनों हेडलाइटो में से एक ही लाइट जलती है इंडीकेटर लाइट का तो भगवान ही मालिक है। अधिकतर डग्गामार वाहन जर्जर हालत में हैं। इन डग्गामार वाहनों के चालक के आगे गति और अन्य तमाम नियम कानून ताक पर रहते हैं। इन डग्गामार वाहनों की चेकिंग के लिए परिवहन विभाग रस्मी तौर पर चेकिंग अभियान चला कर इतिश्री कर लेता है जिसकी भनक इन डग्गामार वाहनों के संचालकों को पहले से ही होती है। नियमानुसार इन वाहनों की स्थलीय जांच हो जिसमें रजिस्ट्रेशन, बीमा, फिटनेस व चालक का ड्राइविंग लाइसेंस तथा समय-समय पर सवारियों को ढोने वाले वाहनों की जांच हो कि वह मानक के अनुसार ही सवारियों को बैठायें। जिससे सड़क दुर्घटना में हो रही जनहानि से बचा जा सके।
डग्गामार वाहन ने ली मजदूर की जान।
मृतक मजदूर की पत्नी दो बच्चों व गर्भ में पल रहे शिशु का कोई पुरसाहाल नहीं
पूरे सुखई मजरे अतरेहटा निवासी गोविंद २५ पुत्र रामपियारे की १९ सितंबर की शाम को रायबरेली से मजदूरी करके डग्गामार वाहन से वापस लौटते वक्त थुलवांसा में एक्सीडेंट में मौत हो गई थी। इस मौत से मृतक की पत्नी उर्मिला देवी २४, मृतक के पुत्र कुलदीप (६) तथा अंशू (२ ) एवं मृतक की पत्नी उर्मिला के गर्भ में पल रहे छ: माह के उस शिशु का क्या दोष था जिसके दुनिया देखने से पहले ही पिता का साया छिन गया। बस इतना ही कि उसके पिता ने मजदूरी से लौटते समय डग्गामार वाहन से सफर किया था। पिता का साया छिनने के बाद अब इस परिवार का कोई पुरसाहाल नहीं है। अगर समय रहते प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की तो ऐसे कितने ही परिवार डग्गामार वाहनों के शिकार होते रहेंगे।
क्या कहते हैं जिम्मेदार-
सवारी वाहनों में सीट क्षमता से ज्यादा सवारियां बैठाने वाले वाहन तथा डग्गामार वाहनों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्यवाही की जाएगी।
अनुज मौर्य/अशोक यादव रिपोर्ट