गौतस्करों को जेल भेजने की कीमत निलंबन से चुकानी पड़ी ….

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महराजगंज (रायबरेली)। आखिरकार कर्तव्यपरायणता एवं ईमानदारी की कीमत चौकी इंचार्ज प्रभारी को अपने निलंबन से गंवानी पड़ी । वही एक सप्ताह में घटना का खुलासा कर 7 गौ-तस्करों को बड़े घर पहुंचाने वाले कर्मठ कोतवाल को उच्चाधिकारियों की शाबाशी मिलने के बदले विभागीय जांच किए जाने के आदेश किए गए । इस फैसले से जहां कम समय में जनता का दुलार पाने वाले चौकी इंचार्ज प्रभारी इरफान अहमद एवं अपराधियो को जेल भेज क्षेत्र से गुंडाराज का खात्मा करने वाले कोतवाल लालचंद सरोज के प्रति लोगो में सहानुभूति है वही कुंठाग्रस्त उच्चाधिकारियों की सोच पर आक्रोश व्याप्त है । किन्तु मामले में यह सूक्ति सटीक बैठती है की सत्य परेशान तो हो सकता है, किन्तु पराजित नहीं ।

बताते चले की सिजनी गांव में 20 जुलाई को हुई गौकशी की घटना के एक हफ्ते के अंदर ही कोतवाली पुलिस ने घटना में संलिप्त बहरु, पुत्ती, रईस, अब्बास, आरिफ, मोनू सहित 7 अभियुक्तों की धड़ पकड़ कर जेल व दो पिकअप, मोटरसाइकिल की बरामदगी कर मामले का खुलासा कर दिया । जिस पर लोगो ने कोतवाल सहित पुलिसिंग की सराहना भी की । इस दौरान पुलिस द्वारा गौ-तस्करो पर कमर तोड़ कार्यवाही करने का ईनाम सस्पेंशन एवं जांच का सामना करने से मिल रहा । उच्चाधिकारियों की इस कड़ी कार्यवाही से जहां कर्तव्यनिष्ठता कटघरे में खड़ी है वही गौतस्कर समर्थको में बेपनाह खुशी देखते बन रही । नाम ना छापने की शर्त पर एक गौ तस्कर समर्थक ने बताया की इसके पहले लेंन देन व सेटिंग गेटिंग से मामला दब जाया करता था एवं सिजनी जैसी वारदात होने पर मैनेज कर घटना कारित करने वाले छुटभईया प्यादो पर कार्यवाही की खानापूर्ति कर गौतस्कर सिंडिकेटरो पर किसी प्रकार की आंच नही आती थी । किन्तु साहब की ईमानदारी अबकी आड़े आ गयी जिसके चलते मोहरों की बिसात बिछानी पड़ी ।

घटना में बरामद पिकअप का गलत नंबर फर्द व एफआईआर कापी में दर्ज कर आरोपियों को बचाने का आरोप लगाकर गुरुवार को कप्तान द्वारा थुलवासा चौकी इंचार्ज इरफान अहमद को सस्पेंड व कोतवाल लालचंद सरोज के खिलाफ विभागीय जांच किए जाने की कार्यवाही की गयी जिससे लोग हैरान है जबकि फर्द व एफआईआर में त्रुटिवश अंकित हुए गलत नंबर में सुधार कर पुलिस द्वारा उसी समय तस्करा डाल सात-सात आरोपियों को जेल भेज मामले की जानकारी उच्चाधिकारियों को प्रेषित की गयी । अब सवाल लाजिमी है की गलत नंबरों वाली फर्द व एफआईआर कापी का वायरल किया जाना कही विभागीय जयचंदो द्वारा ही पुलिस की किरकिरी कराना तो नही ?

अनुज मौर्य/अशोक यादव रिपोर्ट

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