जेहि बिधि भई सो सब तेहिं कही॥ पुनि माया सीता कर हरना। श्रीरघुबीर बिरह कछु बरना॥

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जगतपुर (रायबरेली)। विकास क्षेत्र में चल रहे श्रीराम कथा सम्मेलन के आखिरी दिन वक्ताओं ने भक्ति रस की धारा से श्रोताओं को सराबोर किया और कहा कि इस कलयुग में श्री रामचंद्र जी के अलावा कोई भवसागर से पार करने वाला नहीं है।क्योंकि कलयुग में व्यक्ति को सब ज्ञान है पर सही निर्णय लेने की जरूरत होती है। जो श्री राम की शरण में जाता है वही मानव सही निर्णय कर पाता है।कस्बे के प्राइमरी स्कूल के मैदान में चल रहे श्री राम कथा में मारीचि और रावण का संवाद हुआ। व्यास गद्दी पर विराजमान स्वामी जी ने कहा जीव का कल्याण भगवान के शरण में है। स्वार्थी का कभी भला नहीं हो सकताऔर परमार्थी का कभी बुरा नहीं हो सकता परंतु परमार्थी जीव के लिए प्रभु में आत्मा से सत्य और धर्म कल्याण का भाव होना चाहिए।व्यास गद्दी पर विराजमान वक्ता अनीता भारती ने कलयुग में श्री रामचंद्र जी के जीवन और सौम्यता पर प्रकाश डाला।उन्होनो कहा कि मामा भांजे प्रेम में मारीच ने रावण के कहने का अर्थ तो समझा लेकिन जब उसे मृत्यु नजर आने लगी तो उसने सोचा पापी के हाथों मरने से अच्छा है श्री राम के हाथों ही मारा जाऊं और स्वर्ग सिधार जाऊं इस मौके पर एडवोकेट मनोज श्रीवास्तव रामशंकर दिलीप महेंद्र मुंशी रामनरेश अतुल प्रमोद मौजूद रहे।

अनुज मौर्य/मनीष श्रीवास्तव रिपोर्ट

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