डलमऊ रायबरेली – देश को गुलामी की जंजीरों से आजाद करने के क्रम में 4 फरवरी 1922 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के चौरी चौरी गांव में महात्मा गांधी द्वारा चलाए जा रहे असहयोग आंदोलन के लिए जुटे क्रांतिकारियों में से अंग्रेजों द्वारा कुल 172 क्रांतिकारियों के विरुद्ध इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दायर किए गए मुकदमे में 29 क्रांतिकारियों को फांसी की सजा सुनाई गई थी जिस के क्रम में आज गुरुवार को डलमऊ के गंगा तट पथवारी घाट पर उपजिलाधिकारी डलमऊ जीत लाल सैनी और तहसीलदार डलमऊ प्रतीत त्रिपाठी तथा नायब तहसीलदार सत्य प्रकाश गुप्ता के साथ अन्य लोगों द्वारा मां गंगा की पावन धारा में दीपदान करते हुए चौरा चौरी में शहीदों को सलामी दी गई और उन्हें नमन कर याद किया गया बीते इतिहास की माने तो 1922 को ही यदि चौर चौरी कांड न होता तो हमारा देश आजाद न हो पाता इस कांड से कुंठित महात्मा गांधी द्वारा असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया गया और इसी के चलते आंदोलनकारी दो गुटों में बट गए जिनमें एक नरम दल और दूसरा गरम दल घोषित हुआ ।
विमल मौर्य रिपोर्ट