ड्रेन पर पुल न बनने से ग्रामीणों किया मतदान बहिष्कार।

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उपजिलाधिकारी सदर शशांक त्रिपाठी के आश्वासन पर राजी हुए ग्रामीण।

राही (रायबरेली)। सरकारे बदलती रही,जनप्रतिनिधियों के वोट मांगने आना जाना शुरू रहा,वादे पर वादे होते रहे,किन्तु आज़ादी के बाद से आज तक रायबरेली सदर तहसील क्षेत्र में स्थित रामपुर बघेल के निवासी चंद कदम की दूरी के रास्ते से राजमार्ग पर आने के लिए कई किलोमीटर का चक्कर आज भी लगा रहे है।
जी हाँ।राम पुर बघेल व उसके आस पास के गांवों के लोगों को पास की बाजार डिघिया आने के लिए कई किलोमीटर चक्कर लगाकर आना पड़ता है ।चुनावी बिसात बिछते ही कई प्रत्याशी वोट मांगने पहुँच जाते है।नइया नाले पर पुल बनवाने का वादा करते है,किन्तु जितने के बाद सभी इस गांव को व वहां के ग्रामीणों को भूल जाते है।ग्रामीण यदि राजमार्ग पर आना चाहते है तो उन्हें मलिन का पुरवा राही आना पड़ता है।दूरी को कम करने के लिए ग्रामीण प्रतिवर्ष चंदा लगाकर व श्रमदान करके ड्रेन पर बांस व रस्सियों के सहारे झूलता हुआ पुल बनाते है।उसी पर जान जोखिम में डालकर डिघिया चौराहे पर पहुच रायबरेली-सुल्तानपुर राजमार्ग पर पहुँचते है।बच्चे शिक्षा पाने के लिए विद्यालय पढ़ने भी इसी बांस के पुल से आते है।
सूचना पर उपजिलाधिकारी सदर शशांक त्रिपाठी सीओ गोपीनाथ सोनी के साथ बूथ पर पहुँचे और हंगामा कर रहे ग्रामीणों की बातों को सुना।एसडीएम सदर ने रामपुर बघेल के लोगो को सिंचाई विभाग से पुल बनवाने का आश्वासन दिया।इसके बाद ग्रामीणों की नाराजगी खत्म हो गयी और मतदान करने को राजी हो गए।

अनुज मौर्य/पवन मौर्य रिपोर्ट

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