न्यायालय में विचाराधीन मामला होने के बाद भी गिरा दिया गरीब का घर

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महराजगंज रायबरेली।
बीते कई दिनों से क्षेत्र के दरियावगंज मजरे कोटवा मदनिया गांव में चल रहे मकान के विवाद में प्रशासन का रवैया चर्चा का विषय बना हुआ है। न्यायालय में चल रहे वाद के बावजूद तहसील व पुलिस प्रशासन द्वारा हस्तक्षेप कर पीडि़ता का घर गिरवाये जाने का प्रयास और पीडि़ता द्वारा विरोध करने पर उसे थाने लाकर न्यायिक हिरासत में जेल भेज देने की चर्चा जोरो पर है।
बताते चलें कि दरियावगंज मजरे कोटवा मदनिया में चाचा भतीजे के बीच में घर के बंटवारे को लेकर विवाद चल रहा है। यही नही मामला न्यायालय में भी विचाराधीन है। वहीं मामले में तहसील प्रशासन द्वारा बार बार लेखपाल व पुलिस बल भेजकर स्वयं फैसला कराये जाने व प्रधानमंत्री आवास बनाने की आड़ ले तानाशाही रवैया अपनाया जा रहा है। पीडि़त के परिजनों द्वारा बताया गया कि शुक्रवार को पहुंची राजस्व टीम व पुलिस बल ने मौके पर बैठ कर अपने ही सामने विपक्षियों द्वारा विवादित मकान को गिरवाया जाने लगा तो घर में उपस्थित महिला ने उसका विरोध किया। उसकी सुनवाई न होेते देख उसने मिट्टी का तेल डाल आत्मदाह करने का प्रयास किया। जिस पर पुलिस ने महिला को ही गाड़ी में बिठा थाने पहुंचा दिया वहीं दूसरे दिन उपजिलाधिकारी सबिता यादव ने उसकी जमानत अस्वीकार कर उसे 14 दिन के लिए जेल तक भेजने की कार्यवाही कर दी। प्रशासन की इस तानाशाही कार्यशैली की चर्चा पूरे क्षेत्र में जोरो से चल रही है। लोगो का कहना है कि दीवानी न्यायालय में चल रहे वाद के दौरान उपजिलाधिकारी का हस्तक्षेप और ऐसी कार्यवाही किसी तानाशाही से कम नही है। जबकि क्षेत्र में दर्जनों ऐसे मामले है जिसमें या तो सरकारी सुरक्षित जमीनों पर कब्जा किया जा चुका या कब्जा किया जा रहा है जिनपर तहसील प्रशासन पूरी तरह से मेहरबान दिख रहा है। वहीं मामले में उपजिलाधिकारी सबित यादव ने कहा कि किसी प्रकार का विवाद न हो इसके लिए टीम भेजी गयी थी यदि मामला न्यायालय में विचाराधीन है तो पक्ष अपने कागजात प्रस्तुत करें। जबकि पीडि़त पक्ष ने बताया कि उसने उपजिलाधिकारी को चल रहे वाद के कागजात एक बार नही बल्कि कई बार उपलब्ध करा दिये हैं। किन्तु फिर भी पक्षपात किया जा रहा।

एडवोकेट अशोक यादव रिपोर्ट

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