पतिदेव को जो छोडकर अपने प्रेमी के संग भगे…

229
Raebareli News:पतिदेव को जो छोडकर अपने प्रेमी के संग भगे...

कवि सम्मेलन में रात भर रसधार, श्रोताओं ने जमकर लगाये ठहाके

शिवगढ़ (रायबरेली)। बाबा ब्रह्मदेव मेला समिति सिंहपुर मजरे सराय छात्रधारी में बीती रात विराट कवि सम्मेलन वरिष्ठ पत्रकार बृजेश शुक्ला की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। शुरूआत मां सरस्वती की वंदना से बाराबंकी के शिव किशोर तिवारी ‘खंजन’ ने ‘जब तक अईहो न महतारी हम बुलावा करबै।’ पढकर की। अमेठी से आये ओज के कवि राज किशोर सिंह ने पढ़ा-‘जय बोलो उस जननायक की, एक वीर मराठा क्षत्रिय की पावन कथा सुनाता हूं।’

सुल्तानपुर से आई कालिंदी लता द्विवेदी ने ‘मेरा हर गीत भारत माता की जान बन जाए’ पढकर वाहवाही लूटी। हास्य कवि संदीप शरारती ने ‘पतिदेव को जो छोडकर प्रेमी के संग भगे, हे राम ऐसी नारियों को कानी बना दो।’ पढकर खूब हंसाया। सतांव से आए गीतकार निर्मल श्रीवास्तव ने ‘एक जो फूल दिया था कभी अकेले में, मेरे वीराने में वो आज भी महकता है’ गीत पढकर जमकर तालियां बटोरी। प्रतापगढ़ से आए बृजेश श्रीवास्तव ‘तनहा’ ने ‘सुन भईया सुन, नई-नई दुलहिन का नवा-नवा गुन’ पढकर खूब गुदगुदाया। सुल्तानपुर के कवि पवन कुमार द्विवेदी अंगार ने सुनाया ‘एक बार पुनः भारत के नक्शे का निर्माण होना चाहिए, कन्याकुमारी से लेकर सिंधु नदी के पार इस्लामाबाद तक भारत का विस्तार होना चाहिए’। कवियत्री कोमल ‘नाजुक’ ने ‘सुनो सच्ची मोहब्बत को सियासी मोड़ दोगे तुम, यकीनन जानती हूं मैं किसी को छोड़ दोगे तुम’। पढ़कर युवाओं को खूब लुभाया। कवि प्रवीण त्रिपाठी ‘प्रवीण’ ने ‘कोई फिर से लौटा दे बचपन वाले दिन’ गीत से बचपन की यादों में खोने पर मजबूर कर दिया। कवि सम्मेलन का संचालन कर रहे पत्रकार अनुज अवस्थी ने ‘70 वर्षों से फूल-फल रही आरक्षण की क्यारी है, बहुत दलित उत्थान हो चुका अब सवर्ण की बारी है’। पढकर आरक्षण पर चोट की। इस मौके पर आयोजक पूर्व प्रधान सरायं छत्रधारी विष्णु गोस्वामी, संतोष श्रीवास्तव, ओम प्रकाश शुक्ला, पंकज मिश्रा, भानु श्रीवास्तव, ज्ञान सिंह, कुंवर बहादुर सिंह, दुर्गा सिंह, सुरेश चतुर्वेदी, राजीव चतुर्वेदी, ललित तिवारी, दिलीप अवस्थी, धर्मेन्द्र चतुर्वेदी, अजय मिश्रा, सुधांशु श्रीवास्तव, अनिल श्रीवास्तव, मुन्ना सिंह, राम दुलारे कश्यप, मनोज शर्मा आदि उपस्थित रहे। अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ पत्रकार बृजेश शुक्ला ने कहा कवि गागर में सागर भरने का कार्य करता है और समाज में घटित होने वाली घटनाओं को कविता के माध्यम से रखता है। किसी कवि ने लिखा है कि ‘कलम जिंदा है तो समझो कि वतन जिंदा है’ कवि और पत्रकार दोनों का कार्य है। सत्ता को उसका आईना दिखाना और वह बखूबी कर रहे हैं।

Previous articleपराली जलाने पर सरकार गंभीर, होगी कार्यवाही: डीएम
Next articleपोषण समिति की बैठक 30 को