आय दिन हो रही मौतो से भी नहीं भंग हो रहा पुलिस का टेबल के नीचे की कमाई का मोह।
खीरों (रायबरेली)। बाराबंकी में जहरीली शराब के पीने से हुयी मौतों के बाद भी खीरों क्षेत्र में अवैध कच्ची शराब का धन्धा धड़ल्ले से चल रहा है। खीरों में प्रतिदिन सैकड़ों लीटर अवैध शराब की बिक्री हो रही है. दर्जनों गांवों में अवैध शराब की भट्ठियां सुबह से धधकती देखी जा सकती हैं. लेकिन इन भट्ठियों पर शराब पीने वालों के अलावा दूसरे किसी का जाना खतरे से खाली भी नहीं हैं। शराब कारोबारियों की महिलायें उन पर या तो छेद्छांड दुष्कर्म जैसे झूठे मुकदमें दर्ज करा देती हैं या फिर उनकी पिटाई हो जाती है। एक अवैध शराब के व्यापारी ने बताया कि स्थानीय पुलिस को रूपये देने के बाद ही शराब की बिक्री होती है। थाना खीरों में तैनात एक पुलिस कर्मी ने बताया कि नन्दाखेडा,गहिरी,पासिन का पुरवा, कछियारा, महरानीगंज, बेहटा सातनपुर, कलुआखेडा, पृथ्वीखेडा, मोहनपुर, देवीखेडा , सुर्जखेडा,पाहो सहित दर्जनों गांवों में कुटीर उद्योग की तरह अवैध कच्ची शराब का कारोबार होता है. इन गांवों में बड़ी तादात में शराब की भट्ठियां चलती हैं। बीते दिनों एक वायरल विडिओ में साफ़ देखा जा सकता है कि कैसे ये जहर बिना किसी डर के धड़ल्ले से बेचा जा रहा है। विडिओ में एक महिला शराब की दूकान लगा कर बैठी है और दर्जनो लोग खुले आम ये जहर पी रहे हैं। पुलिस को हर महीने प्रति भट्ठी के हिसाब से पैसा मिलता है,जो बीट के सिपाही या दरोगा के माध्यम से थाने पहुंचता है। जब भी विभागीय उच्चाधिकारियों का निर्देश होता है तो कुछ शराब कारोबारियों को शराब सहित थाने पर बुलाकर मुकदमा दर्ज कर गुडवर्क दिखा दिया जाता है। नन्दाखेडा और पासिन का पुरवा जैसे गांवों के शराब के कारोबारी तो मन्दिर के आस पास ही शराब बेंचते मिलते हैं। इस कारोबार में महिलायें अधिकाँश संलिप्त रहती है, जो शराब कारोबारियों के लिए सुरक्षित माध्यम माना जाता है। एक शराब कारोबारी ने बताया कि उन्हे मजबूरी में यह धन्धा करना पडता है, क्योंकि शराब बनाओ या न बनाओ पुलिस को प्रति भट्ठी के हिसाब से हर महीन पैसा देना पडता है। थाने में बनी सूची के हिसाब से सभी से पैसा वसूला जाता है। बीच-बीच में पुलिस अपना दामन बचाने के लिए उनके ऊपर मुकदमें भी दर्ज करती है। इस कच्ची शराब के कारोबार में बड़ी मात्रा में यूरिया खाद का उपयोग कारोबारी कर रहे हैं।
पुलिस विभाग के सूत्रों की माने तो बीते वर्ष एक तेज तर्रार दरोगा चौकी इंचार्ज लल्लाखेडा पड़ोसी गांव बेहटा सातनपुर में किसी मामले की विवेचना में गए हुए थे। उन्हे शराब की गंध मिली तो वह अपने हमराही के साथ उस घर में घुस गए जहां शराब बन रही थी। इस पर महिलाओं ने हमराही सहित उनकी जमकर पिटाई करते हुए वर्दी भी फाड़ दी थी। इस मामले के बाद उन महिलाओं पर कड़ी कार्यवाही करने के बजाय विभागीय अफसरों ने दरोगा का ही तबादला कर दिया। ग्रामीण महिलायें बताती है कि उनके परिवारों में आपसी कलह,ग्रामीणों व पड़ोसियों से झगड़े,घरेलू हिंसा आदि की प्रमुख जड़ सस्ती अवैध कच्ची शराब है। यदि इस पर पाबंदी लगा दी जाए तो काफी हद तक अपराधों पर अंकुश पाया जा सकता है। प्रभारी निरीक्षक अमरनाथ यादव से इस सम्बन्ध में बात करने का प्रयास किया गया लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी।
अनुज मौर्य रिपोर्ट