फर्जी, मनगढंत और कूटरचित निकली बग्गा की श्री गुरु सिंह सभा!

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  • डिप्टी रजिस्ट्रार ने निरस्त किया पंजीकरण, बसंत सिंह बग्गा को लगा बड़ा झटका

रायबरेली। फर्जी संस्था के आधार पर गुरुद्वारे और उसकी सम्पत्तियों पर गिद्ध दृष्टि जमा कर बैठे बसंत सिंह बग्गा को इस बार तगड़ा झटका लगा है। कार्यालय डिप्टी रजिस्ट्रार फम्र्स सोसाइटीज एवं चिट्स लखनऊ के आदेश ने न केवल बग्गा के मंसूबों पर पानी फेर दिया है बल्कि यह साबित किया है कि अभिलेखीय कूटरचना करके बसंत सिंह बग्गा गुरुद्वारे पर अपना कब्जा जमाना चाहते थे। सिक्ख संगत ने प्रेसवार्ता के माध्यम से डिप्टी रजिस्ट्रार के आदेश की जानकारी दी और कहा कि बग्गा द्वारा भगवान के घर में किया गया घिनौना कृत्य सर्वथा निन्दनीय है।
सिक्ख संगत ने एक होटल में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान बताया कि व्यापारी नेता बसंत सिंह बग्गा फर्जी तरीके से संस्था बनाकर गुरुद्वारा और उसकी सम्पत्तियों को हड़पना चाह रहे थे, लेकिन इस धर्मयुद्ध में उनकी करारी शिकस्त हुई है। सरदार गुरजीत सिंह तनेजा ने बताया कि बग्गा ने घिनौना कृत्य किया है। इसी का परिणाम है कि ईश्वर ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। सिक्ख संगत की जीत ने यह साबित कर दिया कि देर से ही सही लेकिन ईश्वर पूरा न्याय करता है। एडवोकेट बलजीत सिंह मोंगा ने कहा कि सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि बग्गा ने जो किया है ईश्वर उन्हें कभी माफ नहीं करेगा। धर्मयुद्ध में सिक्ख संगत और सच्चाई की जीत हुई है। डिप्टी रजिस्ट्रार के आदेश के बाद अब सिक्ख संगत सर्वसम्मति से चुनाव कराएगी। सरदार अवतार सिंह छाबड़ा ने कहा कि गुरुद्वारा जैसी पवित्र जगह पर बग्गा ने अपनी षडय़ंत्रकारी साजिशों को अंजाम देने की कोशिश की है। वाहेगुरु के दरबार में जो कूटरचित खेल बग्गा ने खेला है उसके लिए उन्हें शायद कभी नहीं माफ किया जा सकेगा। यहां उल्लेखनीय है कि व्यापारी नेता बसंत सिंह बग्गा ने श्री गुरुसिंह सभा समिति नाम की संस्था 23 दिसम्बर 2017 को पंजीकृत करायी थी। जिसमें उन्होंने खुद को अध्यक्ष, हरजीत सिंह को सचिव और हरपाल सिंह को कोषाध्यक्ष बनाया था। जब इसकी जानकारी सिक्ख संगत को हुई तो विरोध शुरू हो गया। बसंत सिंह बग्गा ने जिला प्रशासन के समक्ष संगत से समझौता किया, लेकिन वह उस पर भी पूरे नहीं उतरे। लिहाजा संगत की मांग पर जिला प्रशासन की ओर से गुरुद्वारे में रिसीवर नियुक्त कर दिया गया। उधर 16 जनवरी 2018 को बलजीत सिंह मोंगा, सरदार इकबाल सिंह मखीजा और सरदार गुरजीत सिंह तनेजा ने संयुक्त रूप से डिप्टी रजिस्ट्रार फम्र्स सोसाइटीज एवं चिट्स लखनऊ के यहां बग्गा के कृत्य के विरुद्ध अपनी शिकायत दर्ज कराई और बताया कि संगत को धोखे में रखकर बग्गा द्वारा संस्था का फर्जी पंजीकरण कराया गया है और बग्गा गुरुद्वारे की चल-अचल सम्पत्तियों पर प्राधिकार स्थापित करने हेतु प्रयासरत हैं। बग्गा की संस्था के विरुद्ध इस शिकायत व आपत्ति को स्वीकार करते हुए डिप्टी रजिस्ट्रार ने मामले की सुनवाई शुरू की। एक लम्बी लड़ाई के बाद डिप्टी रजिस्ट्रार ने अभिलेखों का बारीकी से परीक्षण करने के उपरांत अपना निर्णय दिया। डिप्टी रजिस्ट्रार ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि बसंत सिंह बग्गा द्वारा फर्जी, मनगढंत, कूटरचित तथा तथ्यगोपन के आधार पर श्री गुरुसिंह सभा समिति का पंजीकरण कराया गया है। बग्गा अपने कथने के समर्थन में कोई भी प्रमाणित अभिलेखीय साक्ष्य नहीं प्रस्तुत कर सके। यहीं नहीं बग्गा ने 26 दिसम्बर 2018 को जिन 48 व्यक्तियों के नोटरी शपथपत्र डिप्टी रजिस्ट्रार के कार्यालय में प्रस्तुत किये उनमें से कोई भी व्यक्ति 21 अगस्त 2017 की उस बैठक में उपस्थित नहीं था। जिसके आधार पर संस्था का पंजीकरण कराया गया था। जो 9 व्यक्ति उपस्थित थे उनमें से किसी ने शपथपत्र प्रस्तुत नहीं किया। पूरे प्रकरण के अध्ययन, परीक्षण और साक्ष्यों के आधार पर डिप्टी रजिस्ट्रार एसके मौर्य ने 29 जनवरी 2019 को अपना निर्णय सुनाते हुए बग्गा द्वारा पंजीकृत करायी गयी फर्जी संस्था श्री गुरुसिंह सभा समिति को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया। डिप्टी रजिस्ट्रार के इस निर्णय के बाद सिक्ख संगत में खुशी की लहर दौड़ गयी। प्रेसवार्ता के दौरान उपस्थित संगत के लोगों ने डिप्टी रजिस्ट्रार के इस निर्णय को न्यायपूर्ण बताते हुए न्याय पालिका पर अपनी आस्था व्यक्त की। इस दौरान स. जोगिन्दर सिंह, स. हरभजन सिंह छाबड़ा, स. नवदीप सिंह बग्गा, स. जसबीर सिंह गांद्दी, स. त्रिलोचन सिंह मोंगा, स. अवतार सिंह मोंगा, स. बलजीत सिंह गांधी, स. हरमंदर सिंह सलूजा, स. सर्वजीत सिंह नारंग, स. देवेन्दर सिंह सहित भारी संख्या में सिक्ख समाज के लोग मौजूद रहे।

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