भागवत शब्द चार अक्षरों से बना है
प्रथम शब्द भा हैं
जिसका तात्पर्य भ से भक्ति ग से ज्ञान
व से बैरागय
त से तप की तरफ जो अग्रसर करें उसे भागवत कहते हैं
प्रतापगढ़
यह शास्त्र प्रेम रस सिंधु है
जिससे पठन पाठन श्रवण से समस्त प्राणियों में प्रेम जागृत होता है अनेक प्रकार की कटुता घृणा द्वेश समाप्त होता है इसके प्रत्येक शब्द भगवान नारायण के मुखार बिंद से निकला है
इस लिए इसे भागवत कहते हैं
जनपद प्रतापगढ़ के मांधाता क्षेत्र के बासूपुर की पंडित की पाठशाला में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ब्यास आचार्य श्रद्धेय पंडित श्री शिवाधार मिश्रा जी के मुखार बिंद से कथा श्रवण करते हुए मुख्य यजमान श्रीमती प्रभावती देव नारायण दुबेदी के आवास पर क्षेत्र के लोग साप्ताहिक कथा का रस पान करते हुए भक्त जन
आयोजक शिवाकांत अंजनी प्रभात हेमंत प्रखर शिषर प्रियांशू प्रणव राधेश्याम दुबे अशोक अखिलेश बब्बू सिंह आदि भक्त उपस्थित रहे
अवनीश कुमार मिश्रा रिपोर्ट