दिल्ली। भारत में राजनीति का सबसे बड़ा दुर्भाग्य ही रहा है कि सरकारी समय-समय पर अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए देश के मूलभूत मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए समय-समय पर सरकारें इस तरह के दांव खेलती रही हैl सरकार के लिए इसलिए भी जरूरी हो जाता है क्योंकि उनको सत्ता में लंबे समय तक बने रहना है और यह भी सच है कि राजनीतिक संगठन समय-समय पर चुनाव के समय आर्थिक पोषण करने वाले उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने का काम करती है l2014 के लोकसभा चुनाव से राजनीतिक संगठन इस तरह से उद्योगपतियों पर आश्रित हो गए कि अब देश की राजनीति की दिशा और दशा पूंजीपति तय करने लग गए हैं l 2014 के बाद से सरकार की तमाम रणनीतियां उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने तक सीमित रह गई है जिसका परिणाम यह हुआ कि देश की आर्थिक संसाधनों के बंटवारे में पूंजीपतियों एवं गरीबों के बीच आर्थिक असमानता की दूरियां इतनी व्यापक स्तर पर बढ़ गई है की आर्थिक संसाधन कुछ सीमित वर्गों तक ही सीमित रह गया है l जिसका दुष्परिणाम यह हुआ कि देश के युवाओं को बेरोजगारी में दलदल में जकड़ लिया जिसके कारण युवा सामाजिक दृष्टि से अनैतिक अपराधिक गतिविधियों में संलग्न ज्यादा देखे जा रहे हैं l सरकार को एयर कंडीशनर रूम में बैठे-बैठे भले ही देश के युवाओं में बेरोजगारी नजर नहीं आती हो सही मायने में देश के युवाओं की बेरोजगारी को महसूस करना है तो किसी गांव के शुरुआत से लेकर अंत तक एक यात्रा करने पर आपको जगह-जगह बेरोजगार युवाओं की तादाद देखने को मिल जाएगी तथा अनैतिक कार्यों में उनकी संलग्नका अनेक उदाहरण हमारे सामने आ जाएगा तब आपको बेरोजगारों की तादाद इतनी भारी संख्या में बैठे हुए मिलेंगे l विश्व के तमाम देश जहां मानव संसाधन का प्रशिक्षण के माध्यम से अपने अपने देशों को विकसित बनाने का काम कर रहे हैं वहीं भारत जैसे विकासशील देश में अर्थव्यवस्था इस कदर पटरी से उतर चुकी है कि हम देश के मानव संसाधनों का इस्तेमाल तो क्या उनको मूलभूत आवश्यकताएं उपलब्ध करवाने ही में भी नाकाम रहे हैं। फिलहाल हमारे देश की राजनीति पड़ोसी देशों को लच्छेदार भाषणों के माध्यम से डराने तक सीमित रह गई है l सही मायने में देखा जाए तो कोई भी विकसित राष्ट्र तब कहलाता है जब वहां के मानव संसाधन विकसित हो जिस देश का मानव संसाधन विकसित अवस्था में होता है वह देश आर्थिक दृष्टि से मजबूत मजबूत राष्ट्र माना जाता है और जिस देश में मानव संसाधन अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भी दर-दर भटकता है उस देश को सबसे कम जो राष्ट्र का दर्जा दिया जाता हैl फिलहाल भारत में भी इस तरह की प्रक्रिया विकसित हो गई है भारत सकल घरेलू उत्पाद की दृष्टि से पड़ोसी देशों एवं अर्थव्यवस्था के मामले में भारत पड़ोसी देशों से पिछड़ गए हैं l इन सब के पीछे वजह कहीं ना कहीं राजनीतिक महत्वाकांक्षा उद्योगपतियों के स्वार्थों की पूर्ति कर इन सब के पीछे कहीं न कहीं वजह राष्ट्रवाद के नाम पर देश के लोगों को गुमराह करके देश में राष्ट्रभक्ति राष्ट्रभक्त के नाम पर विचार विमर्श करने की परंपरा शुरू हुई राष्ट्र के लिए नोटबंदी जैसे मुद्दों का आगमन हुआ, हिंदू मुसलमान के आधार पर दंगे फैलाने जैसे सांप्रदायिक गतिविधियों, लव जिहाद जैसी कार्यक्रम गाय के नाम पर राजनीति, राम मंदिर बनना चाहिए नहीं बनना चाहिए जैसे मुद्दों पर देश के लोगों का ध्यान आकर्षित करना, तलाक कानून बनना चाहिए नहीं बनना चाहिए जैसे मुद्दों पर हमारी राजनीतिक सीमित रह गई जो फिलहाल देश की मूलभूत समस्याएं थी उन सब पर भारतीय राजनीतिक व्यवस्था का ध्यान भटक चुका है जिसके कारण हम आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हुए नजर आ रहे हैं l भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास एवं दिल्ली प्रदेश युवा कांग्रेस के सह संयोजक डॉ अनिल मीणा का कहना है कि आर्टिकल 370 व 35A को हटाने की कवायद कहीं ना कहीं भारतीय जनता पार्टी की सरकार की असफलताओं से बचाने का कहीं न कहीं रक्षा कवच की तरह काम तो नहीं कर रहा ? सरकार 370 की आड़ में अनेक मुद्दे को छिपाने का काम कर रही है l भारतीय संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए चाहे वह मुफ्ती फारुख नजरबंद का हो, चाहे वह देश की बेटियों के साथ बलात्कार करने वाले भाजपा विधायकों एवं संगठन के मंत्रियों को बचाने का उन्नाव कांड पर बेटियों के पिताओं का मुंह बंद करना हो, चाहे वह देश में बढ़ते हुए निजी करण के कारण सार्वजनिक संस्थाओं के लाखों लोगों के रोजगार छीनने की जैसे मुद्दे को छुपाने का षड्यंत्र हो, एयरपोर्ट एवं रेलवे जैसी जैसी अनेक भारतीय सार्वजनिक संस्थानों को निजी करण करने का मामला हो निजीकरण के खिलाफ सरकारी कर्मियों का आंदोलन को राष्ट्रभक्ति के नाम पर दबाने का साजिश हो, लाल किले जैसे अनेक देश की राष्ट्रीय धरोहरों को गिरवी रखने के मामले को छिपाने का मामला हो, चाहे वह देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर से उतर जाने के कारण आर्थिक तबाही से लोगों से लोगों का ध्यान भटकाने आदि आदि अनेकों मुद्दों को दबाने के लिए राष्ट्रवाद का चोला ओढ़कर पाकिस्तान को डराने का एक नाटक रचने से देश के लोगों को वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने की एक साजिश है l मोदी सरकार के लच्छेदार भाषणों में पाकिस्तान हमसे डर रहा है कह देने से ही हम अपने आप को मजबूत राष्ट्र समझने लग जाते हैं और राष्ट्र की जो वास्तविक समस्याएं हैं उनसे देश की जनता का ध्यान भटक जाता है l देशभक्ति की आड़ में सरकार ने वाहन चालान रेट 4 गुना बढ़ोतरी कर दी बिजली के दाम 4 गुना बढ़ा दिए गए , देश में व्यापक स्तर पर बेरोजगारी बढ़ चुकी है राष्ट्रभक्ति की आड़ में सरकार तमाम मुद्दों से देश के लोगों का ध्यान भटका कर सरकार देश देश के लोगों की भावनाओं के साथ खेलने का काम कर रही है l लच्छेदार भाषणों से राष्ट्र को मजबूत कह देने से राष्ट्र मजबूत नहीं होता सही मायने में राष्ट्र तब मजबूत होता है जब वहां का मानव संसाधन एवं अर्थव्यवस्था मजबूत होती हो l हमारी राजनीतिक दिशा राष्ट्र निर्माण में होनी चाहिए राष्ट्र के मूलभूत समस्याओं के मुद्दे सुलझाने में होनी चाहिए राजनीतिक छल प्रपंच कपट से मुक्त होनी चाहिए।