माइनर कटने के चार दिन बाद भी नही सही कराई गई पटरी,जिम्मेदार अधिकारी सो रहे कुम्भकरणी नींद

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माइनर कटी फसलें व सडक़ हुई जलमग्न

माइनर की अधूरी सफाई कर छोडा गया पानी फसलें बर्बाद

लालगंजः(रायबरेली)। माइनर की पटरी कटने से किसानों की लगभग 50 बीघा फसल जलमग्न हो गई। इससे किसानों को तगड़ी चपत लगी है। रविवार रात में कटी माइनर की पटरी को दुरुस्त कराने के लिए बुधवार दिन में भी सिंचाई विभाग का कोई कर्मचारी मौके पर नहीं पहुंचा। कड़ाके की ठंड में एकजुट किसानों ने काफी मशक्कत के बाद देर शाम तक क्षतिग्रस्त पटरी को दुरुस्त करने का प्रयास किया परन्तु सफलता नहीं मिली सिंचाई विभाग की इस उदासीनता पर किसानों ने कड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि सिंचाई विभाग न सिर्फ माइनरों की सफाई में मनमानी करता है, बल्कि क्षतिग्रस्त पटरियों की मरम्मत में भी दिलचस्पी नहीं दिखाता।और माइनर की अधूरी सफाई कर पानी छोड दिया गया इसके चलते ही इसका खामियाजा अक्सर किसानों को भुगतना पड़ता है।डलमऊ तहसील क्षेत्र के ऐहार गांव में शारदा सहायक पुरवा ब्रांच की माइनर मे अधूरी सफाई कर पानी छोड दिया गया रविवार को सुबह उस समय हड़कंप मच गया, जब किसानों ने देखा कि उनकी फसल जलमग्न हो गई है। किसान माइनर पर पहुंचे तो देखा कि लगभग 10 फिट की दूरी में पटरी कट चुकी है। पानी तेजी से खेतों की तरफ जा रहा है। इससे किसानों की चिंता बढ़ गई।पानी का बहाव इतना अधिक तेज था कि ऐहार गांव से उमरामऊ जाने वाली सडक़ पर जलभराव हो जाने से आधा दर्जन से अधिक गांवों के आने वाले राहगीरों के लिए मुश्किलें बढ़ गई ।माइनर की पटरी क्षतिग्रस्त होने से ऐहार निवासी किसान सुशील शुक्ला दउवा रामकिशुन राम आसरे सहित दो दर्जन से अधिक किसानों की लगभग 50 बीघा फसल जलमग्न हो गई। किसानों ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की उदासीनता पर कड़ी नाराजगी जतायी। किसानों ने कहा कि सिंचाई विभाग की मनमानी चरम पर है। न तो माइनर की नियमित व बेहतर तरीके से सफाई करायी जाती है और न ही समय-समय पर क्षतिग्रस्त पटरियों को दुरुस्त कराने की जरूरत समझी जाती।

एसडीएम की बात नही मानते जेई साहब

आपको बताते चले लालगंज एसडीएम को जब इस मामले की जानकारी हुई तत्काल उन्होंने सिचाई विभाग के जेई को माईनर पटरी सही करवाने के निर्देश दिए थे लेकिन आज बुधवार होने को हैं लेकिन अभी तक माइनर के कटान को नही रोका जा सका हैं जिससे साफ जाहिर होता हैं कि उच्च अधिकारी की बातों को जिम्मेदार अधिकारी नही मानते है।

अनुज मौर्य/सन्दीप फ़िज़ा रिपोर्ट

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