मोदी मिल के मैदान में हर वर्ष विजयादशमी के दिन वर्षों से लगता चला आ रहा है दहशरा मेला
मोदी मिल चलने के दौरान नवरात्रि भर होती थी रामलीला, कोसों दूर से आते थे लोग
रायबरेली। कारखानों की क्रबगाह कहे जाने वाले रायबरेली की बंद मिलों (फैक्ट्रियों) में मोदी कॉपोरेट लिमिटेड का भी नाम है। लखनऊ-प्रयागराज हाईवे पर कठवारा ग्रामसभा में बनी फैक्ट्री को बंद हुए वर्षों हो चुके हैं। 18 जून 1977 को बनकर तैयार हुई यह मिल जब शुरू हुई थी, जब पूरे क्षेत्र के लोगों में आश बंधी थी। पूरा क्षेत्र हमेशा ही जगमग रहता था। हर साल नवरात्रि में यहां पर जगमग रहता था और रात्रि में रामलीला का भी आयोजन हुआ करता था। इसके अलावा विजयादशमी के दिन मेला लगता था। मोदी फैक्ट्री बंद होने बाद धीरे-धीरे करके यहां पर बाहर के रहने वाले लोग भी अपने-अपने घरों को चले गए। कुछ समय तक यहां की कालोनियों में लोग रहते थे और उन लोगों ने मोदी मिल के मैदान पर मेला लगने की परम्परा जारी रखी। इसी दौरान नयापुरवा के लोगों ने भी उनका सहयोग जारी रखा। इस दौरान दिन में मेला और रात्रि में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता था। कुछ समय बाद धीरे-धीरे करके रात्रि में सांस्कृतिक कार्यक्रम की परम्परा समाप्त हो गई और मेला भी कम हो गया।
मेला कम होने पर गांव के ही युवाओं ने कमेटी बनाकर मेले को फिर से नया रूप देने की शुरुआत की। नयापुरवा गांव कमेटी के निवर्तमान अध्यक्ष जगप्रसाद यादव के नेतृत्व में मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन शुरू हुआ था। यही नहीं गांव में लगने वाले मेले के लिए प्रचार-प्रसार भी शुरू किया गया और बाजारों में मुनियादी भी कराई गई। अब हर साल विजयादशमी के दिन मेला, रावण दहन और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होता है। नयापुरवा युवा कमेटी के वर्तमान अध्यक्ष प्रमोद यादव ने बताया कि पुरखों से मिली विरासत को संभाले रखा गया है। इस वर्ष भी विजयादशमी के दिन मेला का आयोजन किया जा रहा है। इसके अलावा रावण दहन की खास तरीके से व्यवस्था की गई है। इस बार कमेटी की तरफ से दिन रामलीला का भी मंचन किया जाएगा। मेले में कार्यक्रमों का संचालन करने वाले भोला सिंह ने बताया कि इस बार मेले में भी खास आयोजन होने है। वहीं, कठवारा ग्रामसभा के प्रधान वीरेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि हमारी कोशिश रही है कि ग्रामसभा की विरासत को संभाले रखा जाएगा। इसी वजह से हर साल गांव में मेले का खास आयोजन किया जाता है।
रामलीला में आते थे देशभर से कलाकार
गूजरमल मोदी ग्राम के नाम से सेठ सतीश कुमार मोदी द्वारा बनवाई गई मोदी फैक्ट्री का संचालन 1977 में शुरु हुआ। जब चलती थी उस दौरान हर साल नवरात्रि में खास रामलीला का आयोजन किया जाता था। रामलीला में परशुराम का संवाद, लक्ष्मण संवाद सहित अन्य रामलीला की घटनाओं का संवाद करने के लिए अलग-अलग पात्र आते थे। यहां पर आने वाले पात्र संस्कृत और हिन्दी के प्रखंड विद्वान होते थे। गांव के राधेश्याम यादव और प्रेमकिशोर यादव बताते हैं कि हर साल रामलीला का मंचन करने के लिए संस्कृत के प्रोफेसर आते थे। इसके अलावा यहां पर उड़ते हुए हनुमान भी आते थे। वे बताते हैं कि मोदी फैक्ट्री में नवरात्रि पर मेला लगा रहता था। उस दौर में बैलगाड़ी से लोग रामलीला को देखने के लिए कोशों दूर से आते थे। यहां की रामलीला इतनी खास होती थी, बछरावां, रायबरेली शहर, महराजगंज, अमावां सहित कई जगहों से लोग देखने के लिए आ जाते थे। यहां की रामलीला देखने के लोग दस दिनों तक रिश्तेदारी में रहते थे।
गूजरमल मोदी के बेटे ने की थी मिल की स्थापना
हरचंदपुर क्षेत्र के नयापुरवा गांव में बनी मोदी मिल की स्थापना देश के बहुत बड़े उद्योगपति रहे पद्मभूषण राय बहादुर गूजरमल मोदी के बेटे ने स्थापना की थी। गूजरमल मोदी के पांच बेटों कृष्णकुमार मोदी, विनय कुमार मोदी, भूपेंद्र कुमार मोदी, सतीश कुमार मोदी और उमेश कुमार मोदी थे। इसमें से सेठ सतीश कुमार मोदी ने इस मिल की स्थापना थी। हालांकि इस मिल को देखने के लिए कृष्ण कुमार मोदी (केके मोदी) भी आते रहते थे। केके मोदी आईपीएल के पूर्व अध्यक्ष रहे ललित मोदी के पिता थे। यहां पर मोदी मिल की स्थापना राय बहादुर राय ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर की थी। सांसद के तौर पर जिले में इंदिरा गांधी ने मोदी से फैक्ट्री को लगाने के लिए कहा था। इसके बाद सदर तहसील के राजस्व ग्राम कठवारा, शोरा व गुल्लपुर के किसानों से जमीन लेकर यहां पर सैकड़ों एकड़ में मिल की स्थापना की गई थी।
अनुज मौर्य रिपोर्ट