1 फरवरी को मोदी सरकार अंतरिम बजट के बजाय पूर्ण बजट पेश करने जा रही है। सरकार ने पूर्ण बजट पेश करने की सारी तैयारियां पूरी कर ली है। वही विपक्ष की आलोचनाओं से बेपरवाह बीजेपी का कहना है कि संविधान में अंतरिम बजट का कोई उल्लेख नहीं है। नई सरकार को पुरानी सरकारों की घोषणाओं पर रोक लगाने का अधिकार है तो यह बहस का विषय ही नहीं होना चाहिए।
बजट में फिलहाल सरकार मध्य और किसान वर्ग को राहत देने के उपायों पर मंथन कर रही है। खासतौर से मध्य वर्ग के लिए आयकर राहत का दायरा बढ़ाने पर विमर्श अंतिम दौर में है।
सरकार पर शुरु से ही आरोप है कि उसके करीब पौने पांच साल के कार्यकाल में मध्य वर्ग को राहत देने के लिए कोई बड़ा निर्णय नहीं लिया है। चुनावी बजट में सरकार इस आरोप हटाना चाहती है। इसी तरह किसानों को भी कर्ज माफी के इतर अन्य तरह की राहत देने पर काम जारी है।
मोदी सरकार नागरिकता संशोधन, तीन तलाक सहित करीब एक दर्जन अन्य बिलों को भी संसद में मंजूरी दिलाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाएगी। पार्टी के रणनीतिकारों का कहना है कि अगर इन बिलों को संसद की मंजूरी नहीं मिली तो चुनाव में पार्टी के सामने विपक्ष पर अड़ंगा लगाने के आरोप का मौका मिलेगा। आपको बता दे कि संसद में मंजूरी नहीं मिलने के बाद तीन तलाक मामले में सरकार ने दूसरी बार अध्यादेश जारी किया है।